तुर्की के लिए ब्लैक मंडे साबित हुआ सोमवार का दिन, ताश के पत्तों की तरह ढह गईं इमारतें

तुर्की के लिए सोमवार का दिन ब्लैक मंडे साबित हुआ। यहां आया भूकंप इतना जोरदार था कि लोग दहल उठे। हंसती खेलती बस्तियां पल भर में उजड़ गर्ईं। भूकंप की वजह से कई घर भरभराकर गिर गए। त्रासदी की तस्वीरें कुछ ऐसी थीं कि लोगों की चीखें निकल गईं। मलबों में दबे छोटे बच्चे-महिलाएं, बुजुर्ग मदद की गुहार लगाते नजर आए, लोग अपने बच्चों को लेकर यहां-वहां भाग रहे थे। हालात को देखते हुए आपात स्थिति की घोषणा कर दी गई है…

एक शाम पहले जो लोग अपनों के साथ हंसी-खुशी दिन गुजारने के बाद सोए थे, वे अगले दिन जिंदगी नहीं शुरू कर सके। जिस बिस्तर पर सो रहे थे, उस पर मौत की नींद सो गए। तुर्की और सीरिया में आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप ने ऐसा ही मंजर पेश किया है। इमारतें जमींदोज हो गई हैं और पूरी की पूरी बस्तियां ही उजाड़ हो गई हैं। चारों तरफ मौत का तांडव है। कहीं परिवार का कोई नहीं बचा, तो किसी को उम्मीद ही नहीं है कि कोई अपना बचा भी होगा। तुर्की और सीरिया में रविवार की रात को एक मिनट तक आए भूकंप ने हाहाकार मचा दिया है। भूकंप इतना तगड़ा था कि इसके झटके साइप्रस, लेबनान और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों तक महसूस किए गए हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की मौत की खबर आ चुकी है। यही नहीं इस भूकंप के चलते सुनामी की आशंका भी इटली में जाहिर की गई थी। फिलहाल तुर्की और सीरिया में बचाव कार्य जारी है और मलबे से निकलती लाशों के साथ ही मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। डर का आलम यह रहा कि तमाम लोग घंटों कारों में ही बैठे रहे, ताकि फिर से आया कोई भूकंप का झटका फिर से मौत की वजह न बन जाए।

मलबे में अब भी सैकड़ों लोगों के शवों के दबे होने की आशंका है। इमारतें जिस तरह से जमींदोज हुई हैं, उनके मलबे में दबे लोगों के बचे होने की आशंका कम ही है। इस भूकंप का केंद्र तुर्की के शहर गाजियानतेप के पास बताया जा रहा है, जो सीरिया की सीमा से 60 मील की दूरी पर है। यही वजह है कि सीरिया में भी झटके काफी महसूस हुए हैं। तुर्की में विनाश का मंजर ऐसा रहा कि राष्ट्रपति ने सामने आकर इसे सदी की सबसे बड़ी आपदा बताया, लेकिन विनाश के इस मंजर के बीच मानवता की मिसाल पेश करता एक वीडियो भी सामने आया, जब तुर्की के एक स्थानीय न्यूज चैनल के एक पत्रकार ने लाइव रिपोर्टिंग के दौरान अपना काम छोडक़र इंसानियत को तरज तरजीह दी और भूकंप में फंसी एक बच्ची की मदद के लिए दौड़ पड़ा।

कई बार थर्राया तुर्की

अक्तूबर, 2020 : तुर्की के तट के पास एजियन सागर में एक यूनानी द्वीप समोस के निकट 7 रिएक्टर स्केल तीव्रता से भूकंप आया था। इसने तुर्की में कम से कम 24 लोगों की जान ले ली। ग्रीस में अधिक हताहत हुए थे।

जनवरी, 2020 : पूर्वी तुर्की में 6.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई, सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। सीरिया, जॉर्जिया और अर्मेनिया में भूकंप के झटके महसूस हुए।

अक्तूबर, 2011 : पूर्वी तुर्की में 7.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 138 लोग मारे गए और लगभग 350 घायल हो गए थे। भूकंप वान प्रांत में केंद्रित था, जो ईरान की सीमा से नजदीक है। भूकंप आसपास के गांवों और उत्तरी इराक के कुछ हिस्सों में महसूस किया गया था।

मार्च, 2010: पूर्वी तुर्की में भी 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई। एक गांव काफी हद तक नष्ट हो गया था और चार अन्य गांव मलबे में तबदील हो गए थे। 5.6 तीव्रता के साथ दूसरा भूकंप बाद में उसी क्षेत्र में आया।

अगस्त, 1999: तुर्की के पश्चिमी शहर इजमित में आए 7.4 तीव्रता के भूकंप में 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

भूकंप का दिल दहलाने वाला वीडियो वायरल

तुर्की में आए भीषण भूकंप में सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। सोशल मीडिया पर भूकंप के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें इसकी भयावहता साफ नजर आ रही है। एक ऐसे ही वीडियो में चंद सेकंड के भीतर एक बहुमंजिला इमारत जमीदोंज हो रही है। तुर्की के भूकंप का यह वीडियो करीब 14 सेकंड का है। इस वीडियो में दिख रहा है कि कैसे एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग देखते ही देखते तबाह हो गई। यह वीडियो दक्षिणी पूर्वी तुर्की के शहर उर्फा का बताया गया है। बिल्डिंग जैसे ही गिरती है, वहां मौजूद जान बचाकर भागते नजर आते हैं। वहीं, दियारबकीर शहर का भी एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है। इसमें भी वीडियो देखते ही देखते ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। इसी तरह सोशल मीडिया पर कई अन्य वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। इनमें इमारतों में फंसे लोगों से लेकर बचाव कार्य तक दिखाई दे रहा है।

नीदरलैंड के वैज्ञानिक ने की थी भविष्यवाणी

तुर्किये समेत चार देश (लेबनान, सीरिया और इजरायल)में भयानक भूकंप से कांप उठे। सबसे ज्यादा नुकसान तुर्किये में हुआ। इस बीच, नीदरलैंड के साइंटिस्ट फ्रेंक होगरबीट्स का तीन फरवरी को किया एक ट्वीट वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने लिखा था कि साउथ सेंट्रल तुर्किये, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में 7.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। फ्रेंक होगरबीट्स मूल रूप से नीदरलैंड्स के रहने वाले हैं। वह सोलर सिस्टम जियोमेट्री सर्वे (एसएसजीईओएस) नाम के एक जियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर हैं। तीन फरवरी को फ्रेंक ने जो ट्वीट किया और जो अब वायरल हो रहा है, उसमें इस साइंटिस्ट ने कहा था कि आज नहीं तो कल, लेकिन जल्द 7.5 तीव्रता का भूकंप इस क्षेत्र में आने वाला है। इससे साउथ-सेंट्रल तुर्किये, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान प्रभावित होंगे। सोमवार को जब फ्रेंक का ट्वीट वायरल हुआ तो इसी सेक्टर से जुड़े एक और साइंटिस्ट ने कहा कि यह साइंटिस्ट यानी फ्रेंक होगरबीट्स चंद्रमा और ग्रहों को आधार बनाकर भविष्यवाणी करते हैं। कई बार उनका प्रिडिक्शन गलत भी साबित हुआ है। हां, ये बात जरूर है कि सोमवार को तुर्किये और सीरिया बॉर्डर पर जो भूकंप आया, उसमें फ्रेंक की बात बिलकुल सही साबित हुई।

सीरिया के शरणार्थी दूसरी बार बेदखल

इस भूकंप के गाजियानतेप पर भीषण कहर बरपा है। इसके चलते सीरिया से आए उन शरणार्थियों को फिर से बेदखल होना पड़ा है, जो दो वक्त की रोटी और सिर छिपाने की जगह के लिए यहां ठहर गए थे।

यहां सबसे ज्यादा तबाही

अंकारा, गाजियांटेप, कहरामनमारस, डियर्बकिर, मालट्या, नूरदगी समेत 10 शहरों में भारी तबाही हुई। यहां 1,710 से ज्यादा बिल्डिंग गिरने की खबर है। कई लोग मलबे के नीचे दबे हैं। लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। कई इलाकों में एमर्जेंसी लागू कर दी गई है।

स्कूल-कालेज रहेंगे बंद

तुर्किये के वाइस प्रेजिडेंट फुआत ओक्ते के ऑफिस की तरफ से एक बयान जारी कर कहा कि देश के 10 शहरों में एमर्जेंसी और रेड अलर्ट जारी रहेगा। सभी स्कूल-कालेज एक हफ्ते बंद रहेंगे। फिलहाल, 200 फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। हम मिलिट्री के लिए एयर कॉरिडोर बना रहे हैं। इसमें सिर्फ एयरक्राफ्ट को लैंड और टेकऑफ की मंजूरी दी जाएगी।

बर्फबारी बनी मुसीबत

भूकंप के बीच तुकिये के कई इलाकों में टेंपरेचर जीरो से नीचे दर्ज किया गया है। दरअसल, इन दिनों इस देश में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। भूकंप से यहां एयरपोर्ट के रनवे डैमेज हो चुके हैं। बचाव-कार्य में बर्फबारी भी मुसीबत बनी है। जाएगा। आईएनएस विक्रांत पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है।
यह भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है।