दो करोड़ से ज्यादा का अब एक ही टेंडर

प्रदेश में बदलेगा पीडब्ल्यूडी का टेंडर प्रोसेस, लोक निर्माण विभाग ने सरकार को भेजा सुझाव

राकेश शर्मा — शिमला

हिमाचल में टेंडर प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल होने वाला है। लोक निर्माण विभाग ने दो करोड़ रुपए से अधिक बजट का एक ही टेंडर जारी करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया है। सुझाव पर फैसले के बाद किसी भी निर्माण पर भविष्य में सिविल और इलेक्ट्रिक टेंडर प्रक्रिया बदल जाएगी। जो ठेकदार या एजेंसी दो करोड़ रुपए से अधिक का ठेका हासिल करेगा, उसे इलेक्ट्रिक टेंडर खुद व खुद मिल जाएगा। भवन निर्माण में बिजली के कार्यों की व्यवस्था सिविल वर्क हासिल करने वाली फर्म के पास ही रहेगी। लोक निर्माण विभाग ने इस सुझाव के पीछे समय और राजस्व की बचत का बड़ा कारण बताया है। पूर्व में लोक निर्माण विभाग दो तरह के टेंडर करता रहा है। इनमें एक टेंडर सिविल का, जबकि दूसरा टेंडर इलेक्ट्रिक वर्क का था।

अब यह व्यवस्था पूरी तरह से बदलने जा रही है। हालांकि दो करोड़ से नीचे वाले सभी टेंडर पूर्व की तरह ही चलते रहेंगे। इससे पूर्व तक सभी बड़े टेंडर में सिविल और इलेक्ट्रिक काम अलग-अलग बांटे जाते रहे हैं। इनमें सिविल वर्क का टेंडर हासिल करने वाली फर्म निर्माण से जुड़ा बिजली का कोई भी काम नहीं करती थी। इसके लिए विभाग को अलग से टेंडर जारी करने पड़ते थे। इस टेंडर प्रक्रिया में अतिरिक्त समय और धन का खर्च होता था। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही पांच लाख रुपए तक के ऑफलाइन टेंडर बंद करने का फैसला किया था। 31 मार्च तक पांच लाख रुपए की श्रेणी के सभी टेंडर ऑनलाइन कर दिए गए हैं और अब लोक निर्माण विभाग टेंडर प्रक्रिया में दूसरा बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भवन निर्माण के बड़े प्रोजेक्ट में लोक निमाण विभाग के इस कदम का असर देखने को मिलेगा।

प्रदेश सरकार को भेजा है सुझाव

लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता का कहना है कि पूर्व में लोक निर्माण विभाग को अलग-अलग टेंडर करने पड़ते थे, लेकिन अब सिविल और इलेक्ट्रिक टेंडर एक साथ होंगे। यानी जिस एजेंसी या ठेकेदार के पास सिविल वर्क होगा, उसी ठेकेदार को इलेक्ट्रिक का काम भी संभालना पड़ेगा। टेंडर एक ही बार जारी होगा और सिविल वर्क हासिल करने वाली एजेंसी इलेक्ट्रिक वर्क का जिम्मा भी पूरा करेगी। राज्य सरकार को यह सुझाव भेजा गया है।