तीसरे दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ी संसद की कार्यवाही, अडानी ग्रुप पर चर्चा को अड़ा विपक्ष

नई दिल्ली। अडानी समूह पर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर संसद में सोमवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी हंगामा किया जिसके कारण लगातार तीसरे दिन कोई कामकाज नहीं हो सका और दोनों सदनों की कार्यवाही दो बार के व्यवधान के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरु होने के तुरंत बाद दोनों ही सदनों में विपक्षी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, द्रविड मुनेत्र कषगम, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल युनाईटेड, आम आदमी पार्टी और कई अन्य दलों के सदस्यों ने अडानी समूह के खिलाफ रिपोर्ट पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरु कर दिया।

लोकसभा में विपक्षी सदस्य हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर रहे थे। अध्यक्ष ओम बिरला शोरशराबे के बीच सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में विपक्ष ने इस रिपोर्ट पर तत्काल चर्चा कराने को लेकर शोरगुल किया। सदन में इस दौरान जरुरी दस्तावेज सदन पटल पर रखे जाने की प्रक्रिया पूरी कराते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नियम 267 के तहत उन्हें 10 नोटिस मिले हैं, लेकिन नियम के अनुकूल नहीं होने के कारण उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया है। उन्होंने सदस्यों को देश की चिंता की आकांक्षाओं के अनुरूप उच्च सदन में गरिमापूर्ण बहस की अपील करते हुए सदस्यों को व्यवस्था बनाए रखने को कहा, लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

भोजनावकाश के बाद लोकसभा में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग को लेकर हंगामा किया जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन की कार्यवाही एक बार स्थगन के बाद जैसे शुरू हुई कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सदन में नारबाजी शुरू कर दी। पीठासीन अधिकारी डॉ किरीट प्रेमभाई सोलंकी ने सदस्यों को अपने-अपने स्थान पर बैठने की अपील की। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी सदस्यों से सदन चलाने के लिए सदस्यों से शांति बनाने का आग्रह किया। श्री जोशी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होने की परंपरा रही है ओर इसे बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है।

डॉ. सोलंकी ने कहा कि सरकार जवाब देने के लिए तैयार है इसलिए सभी को चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए। सदस्यों को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करनी चाहिए। पीठासीन अधिकारी के बार बार आग्रह के बावजूद हंगामा नहीं रुका जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद शुरू होने पर विपक्ष ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने कहा इस तरह का रवैया गैर-जिम्मेदाराना है। सभापति कुछ और बोलने वाले ही थे कि विपक्षी सदस्यों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया जिसके कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सुबह राज्यसभा में सभापति द्वारा नियम 267 के तहत नोटिस खारिज होने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों, शिवसेना, आम आदमी पार्टी तथा कई अन्य दलों के सदस्य अपनी-अपनी सीट के निकट खड़े होकर एकसाथ जोर-जोर से बोलने लगे थे। सदस्यों ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की अनुमति देने की भी मांग की। नोटिस देने वाले प्रमुख सदस्यों में कांग्रेस के खड़गे, प्रमोद तिवारी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विश्वम, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एलामारम करीम, तेलंगाना राष्ट्र समिति के के केशव राव, द्रमुक के तिरुची शिवा शामिल थे।

इसी दौरान श्री धनखड़ ने कहा कि यह ऊपरी सदन है। देश के लोग नियम के अनुसार राज्य सभा की कार्यवाही चलने देना चाहते हैं। देश के लोगों के शांति से चर्चा की आकांक्षा पर हम खरे नहीं उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने जो समय गंवाया है, उस दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये जा सकते थे। इसके बाद विपक्षी दलों के सदस्य फिर से अपनी-अपनी सीट के निकट खड़े हो गये और शोरगुल करने लगे। सभापति ने कहा कि सदन व्यवस्थित नहीं है, इसलिए कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।