नेताओं के झांसे में न आएं लोग…

देश का लोकतंत्र खतरे में है या नहीं, इससे देश की प्रबुद्ध जनता भली-भांति परिचित है। देश की संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता खतरे में है या नहीं, यह भी पढ़ी-लिखी प्रबुद्ध जनता जानती है। लोकतंत्र को लेकर जो विवाद आजकल गर्म है, उसे राजनीति से प्रेरित कहा जा सकता है। कभी-कभी ऐसा होना भी स्वाभाविक होता है कि किसी ज्वलंत मुद्दे को ढकने के इरादे से किसी और मुद्दे को तूल दिया जाता होगा, जिससे जनता का ध्यान हटाया जा सके। देश की प्रबुद्ध जनता को गुमराह होने से बचने की जरूरत होगी क्योंकि ऐसे मुद्दों को हवा देकर नेता व दल जनता को इसलिए गुमराह करते हैं ताकि उनको इससे राजनीतिक लाभ मिल सके। जनता को यह मानकर चलने की जरूरत होगी कि नेताओं को जनता की चिंता नहीं होती है और उनका अपना स्वार्थ ऊपर होता है।

-रूप सिंह नेगी, सोलन