प्रोफेसर बनने को PHD जरूरी नहीं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नई गाइडलाइन, यह होना काफी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नई गाइडलाइन; नेट क्वॉलिफाइड होना ही काफी

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा है कि कालेज या यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य नहीं है। इसके लिए सिर्फ यूजीसी नेट पास होना ही पर्याप्त है। उन्होंने यह बात उस्मानिया विश्वविद्यालय कैंपस में नवनिर्मित यूजीसी-एचआरडीसी भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान कही। यूजीसी अध्यक्ष ने बताया कि एक देश-एक डेटा पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें यूजीसी के सभी दिशानिर्देश और अन्य विवरण होंगे। प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी की परमानेंट फैकल्टी सदस्य अपने प्रोबेशन पीरियड के दौरान पीएचडी शोधार्थियों को गाइड कर सकते हैं। यूजीसी की ओर से करीब चार महीने पहले जारी पीएचडी की गाइडलाइन के मुताबिक पीएचडी डिग्री कोर्स की अवधि कम से कम तीन वर्ष की होगी। इसमें कोर्स वर्क भी शामिल होंगे। पीएचडी में एडमिशन की डेट से अधिकतम छह वर्ष का समय दिया जाएगा। रीरजिस्ट्रेशन के जरिए ज्यादा से ज्यादा दो साल का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। महिलाओं को दो साल की एक्स्ट्रा छूट दी जा सकती है।

ऑनलाइन या दूरस्थ विधि से पीएचडी नहीं की जा सकती। अब कहीं भी सेवारत कर्मचारी या शिक्षक पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे। पहले सरकारी सेवारत कर्मचारियों या शिक्षकों को शोध करने के लिए अपने विभाग से अध्ययन अवकाश लेना पड़ता था। पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम से कम दो शोधपत्र संदर्भित शोध पत्रिकाओं में छपवाना पड़ता था। अब पीएचडी के नए नियमों में इसकी छूट दी गई है। रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। रिसर्च पेपर की अनिवार्यता खत्म कर दी है। यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक शादी के चलते या अन्य कारणों से पीएचडी कर रही महिला दूसरी जगह जाती है और वहां के किसी संस्थान में पीएचडी जारी रखना चाहती हैं, तो उसे अनुमति दी जाएगी। उन्हें बार-बार भाग कर अपने शहर पीएचडी पूरी करने के लिए नहीं आना पड़ेगा।