दो प्राध्यापकों के सहारे चल रहा सलूणी कालेज

रिक्त पदों को भरने को लेकर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई न होने से अभिभावकों में रोष

सुरेश ठाकुर-सलूणी
राजकीय महाविद्यालय सलूणी पिछले काफी समय से मात्र दो प्राध्यापकों के सहारे ही चलाया जा रहा है। इस कारण महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे तीन सौ के करीब बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। महाविद्यालय में रिक्त पदों को भरने को लेकर सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई न होने से अभिभावकों में खासी नाराजगी है। इसके चलते सरकार की घर-द्वार पर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कवायद भी सवालों के घेरे में आ गई है। बताते चलें कि सलूणी क्षेत्र के बच्चों को स्नातक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के उद्मेश्य से सरकार द्वारा वर्ष 2006 में उपमंडल मुख्यालय सलूणी में राजकीय महाविद्यालय खोला गया। इसके लिए सरकार द्वारा वर्ष 2008 में भवन निर्माण भी करवा लिया है।

मगर महाविद्यालय में टीचिंग व नान टीचिंग के स्वीकृत पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं हो पा रहे हैं। इस महाविद्यालय के सही संचालन हेतु सरकार की ओर से टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ के कुल 35 पद स्वीकृत किए गए। इसमें 11 पद टीचिंग और 24 पद नान टीचिंग के हैं। टीचिंग स्टाफ में एक पद प्रधानाचार्य, एक इक्नोमिक्स, एक हिस्ट्री, दो इंग्लिश, एक हिंदी, एक पोलिटिकल साइंस, दो कामर्स, एक जियोग्राफी, एक म्यूजिक है। मगर पिछले काफी समय से यह राजकीय महाविद्यालय मात्र दो प्राध्यापकों के सहारे चला हुआ है। इनमें एक हिंदी व दूसरे कामर्स के हैं। इतना ही नहीं यह महाविद्यालय पिछले कई वर्षों से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के सहारे चला हुआ है। नान टीचिंग स्टाफ के भी काफी पद रिक्त चले हुए हैं। अब ऐसी सूरत में यहां पढऩे वाले बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि यहां स्टाफ की पूर्ण तैनाती की जाए। इस समय यहां पढऩे वाले छात्रों की संख्या तीन सौ के करीब है, जबकि जमा दो की पढ़ाई के बाद सैकड़ों छात्र यहां ओर दाखिला लेंगे। -एचडीएम