अडानी एक मुद्दा तो है ही…

माननीय कानून मंत्री ने हाल में कथित तौर से कहा कि अडानी कोई मुद्दा नहीं है और यह मुद्दा केवल राहुल की सहायता के लिए उठाया गया है। इस बयान में कितना दम है या नहीं है, इसे देश की जनता पर छोडऩा बेहतर रहेगा, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यह बात किसी के गले से नीचे उतर सकती है क्योंकि अडानी का मुद्दा काफी महीनों से देश और विदेश में गर्माया हुआ है और इतना सब कुछ होने के बावजूद इसे मुद्दा क्यों नहीं माना जा सकता है? देश की प्रबुद्ध जनता जानती है कि बिना किसी मुद्दे के देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के गढ़े मुर्दे खोद कर कितना अनुचित निंदा किया गया होगा और उनकी प्रतिष्ठा को कितना नुक्सान पहुंचा होगा? कोई बताएगा कि जब नेहरू मुद्दा नहीं था तो फिर नेहरू की निंदा का क्या औचित्य रहा होगा?

-रूप सिंह नेगी, सोलन