हॉकी और क्रिकेट जगत भी पहलवानों के साथ, खिलाडिय़ों के साथ दुव्र्यवहार पर छलका दर्द

नई दिल्ली, झांसी। पहलवानों को अब बाकी खिलाडिय़ां का भी समर्थन मिल रहा है। वर्ष 1983 क्रिकेट विश्व कप की विजेता टीम ने भी पहलवानों का साथ दिया है और रेसलर्स से हो रहे दुव्र्यवहार पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने खिलाडिय़ों के साथ हुए दुव्र्यवहार पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि यह जो कुछ हो रहा है, उससे खिलाडिय़ों के सम्मान के साथ-साथ देश के सम्मान को भी ठेस लग रही है। क्रिकेट विश्व कप विजेता की टीम ने कहा है कि पहलवानों की शिकायतों पर गौर करनी चाहिए और उनका स्थायी समाधान निकालना चाहिए। हम चिंतिंत हैं कि पहलवानों से बदसलूकी हो रही है, जिस कारण वे अपने पदक गंगा में बहाने की सोच रहे हैं।

दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले तीन महीनों से प्रदर्शन कर रहे खिलाडिय़ों के साथ पुलिस के दुव्र्यवहार पर हॉकी के जादूगर कहलाने वाले मेजर ध्यानचंद के बेटे और अपने शानदार खेल के बल पर हॉकी विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे अशोक ध्यानचंद ने आज ‘यूनीवार्ता से खास बातचीत में कहा कि यह स्थिति न तो खिलाडिय़ों और न ही देश, किसी के लिए भी ठीक नहीं है। इसको शायद हम नहीं समझ पा रहे हैं। यह बेहद गंभीर बात है और इस पर तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो उनके साथ हो रहा है ऐसा किसी भी खिलाड़ी के साथ हो सकता है। हम खुद को उनकी जगह रखकर यह बात कह रहे हैं।

हम जिन लोगों और सरकारों पर निर्भर करते हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी पानी और पत्थर की तरह होता है एक ओर जहां वह पत्थर के जैसा कठोर होता है तो दूसरी ओर पानी के जैसे मुलायम भी होता है। खिलाडिय़ों ने अगर किसी बात को लेकर आपत्ति खड़ी की थी तो इस छोटी सी बात को काफी पहले ही अच्छी तरह से सुलझा लिया जाना चाहिए था। अगर ऐसा हो जाता तो आज स्थिति इतनी खराब न हुई होती जो हुआ वह बेहद दुखी और व्यथित करने वाला था। हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और यश भारती पुरस्कार से सम्मानित अशोक ध्यानचंद ने कहा, मैं उनको अपने साथ जोडक़र उनका दुख महसूस कर रहा हूं।

मैं सोच रहा था कि बात इतना तूल नहीं पकड़ेगी और सरकार मामले को अच्छी तरह से सुलझा लेगी, लेकिन खिलाडियों को बिल्कुल ही अनदेखा कर दिया गया। तीन माह से वह अपनी बात पर अड़े सडक़ पर बैठे हैं। मैंने कहा न कि अगर खिलाड़ी एक ओर बेहद कठोर होता है तो दूसरी ओर बेहद नरम भी होता है। अगर खिलाडिय़ों से सहानुभूतिपूर्वक बात ही कर ली जाती तो खिलाड़ी ऐसा नहीं करते। यह जो हो रहा है उससे खिलाडिय़ों के साथ देश की छवि भी धूमिल हो रही है। उन्होंने खिलाडिय़ों को भी थोड़ा संयम रखने को कहा और सरकार से कहा ” आशा करता हूं कि हमारी सरकार जो ‘ सबका साथ , सबका विकास ’ की नीति पर कार्य कर रही है वह खिलाडियों के दर्द को समझेगी और अपनी समझबूझ और विवेक से इसका निस्तारण करेगी।