कलौंजी से होगा मुंहासों का इलाज; शूलिनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की खोज, शोधकर्ताओं को मिला पेटेंट

मोहिनी सूद — सोलन

मुंहासे एक आम बीमारी है, जिससे देश भर में करीब 85 प्रतिशत से अधिक किशोरों और युवाओं को प्रभावित करती है। लोग अकसर मुहासों से छुटकारा पाने के लिए लगातार नए-नए उपाय खोजने की कोशिश करते हैं। त्वचा को मुंहासों से मुक्त रखने के लिए लोग तरह-तरह के मलहम लगाते हैं और घरेलू नुस्खे गढ़ते हैं, लेकिन यह ज्यादा कारगर साबित नहीं होते। बता दें कि यह त्वचा की स्थिति तब विकसित होती है, जब त्वचा के रोम छिद्र तेल और मृत कोशिकाओं से भर जाते हैं। चेहरे, गर्दन, छाती, पीठ, कंधे और बांहों के ऊपरी हिस्से मुंहासे से शरीर में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन के वैज्ञानिकों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए शोध के दौरान पाया कि एडैप्लीन और निगेला सैटिवा सीड ऑयल को ऑप्टिमम कंसंट्रेशन में मिलाने से इसके साइड इफेक्ट्स से निजात मिल सकती है।

साथ ही मुंहासों का प्रभावी और सुरक्षित इलाज भी होता है। वैज्ञानिकों की यह खोज संभावित रूप से लाखों लोगों के जीवन में सुधार कर सकती है। शोधकर्ताओं की टीम में नवनीत कुमार उपाध्याय, प्रोफेसर पूनम नेगी और निधि को पेटेंट प्रदान किया गया है। कलौंजी के बीज का तेल भी स्किन हाइड्रेशन में सुधार करता है और मुंहासे के कारण होने वाली खुजली और जलन को कम करता है। उन्होंने बताया कि एनकैप्सुलेटेड एडैप्लीन की निरंतर रिलीज साइड इफेक्ट को कम करती है और मुंहासों से निजात दिलाती है। वैज्ञानिक नवनीत कुमार उपाध्याय ने बताया कि रसर्च के बाद इस फॉम्र्युलेशन को सौंदर्य उत्पादों के साथ मिश्रित किया जा सकता है। यह आविष्कार से दवा उद्योग में महत्त्वपूर्ण रुचि पैदा होने की उम्मीद है। त्वचा विज्ञान और मुंहासों के इलाज में विशेषज्ञता रखने वाले चिकित्सकों को भी यह फॉम्र्युलेशन फायदेमंद लग सकता है। (एचडीएम)