स्वर्ग आश्रम धर्मकोट में दलाईलामा की स्मृतियां

भारत में 64 साल पहले धर्मगुरु को स्वर्ग आश्रम में मिला था आशियाना, यहां बिताए थे दस साल

सुनील समियाल — मकलोडगंज

मिनी ल्हासा यानि मकलोडगंज के समीप धर्मकोट में स्थित स्वर्ग आश्रम में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा को लगभग 64 वर्ष पहले आशियाना मिला था। इतना ही नहीं, दलाईलामा ने 10 वर्ष स्वर्ग आश्रम में ही बिताए थे। वहीं से तिब्बती सहित भारतवासियों को पहली बार टीचिंग भी दी थी। उस दौर में उन्हें देखने के लिए पूरी सभा लगती थी और काफी भीड़ भी रहती थी। उन्हीं यादों को सहेजने के लिए अब स्वर्ग आश्रम में दलाईलामा की स्मृतियों को लेकर मिनी म्यूजिम बनाया गया है, जहां उनकी दुर्लभ तस्वीरों को भी सहेजकर रखा गया है। इससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को इसके बारे में जानकारी मिलेगी। तिब्बति धर्मगुरु दलाईलामा के पहले निवास स्थान पर उनकी स्मृतियों के 11 चित्र लगाए गए हैं।

मकलोडगंज के समीप धर्मकोट में स्थित स्वर्ग आश्रम, जो वर्तमान में क्षेत्रीय पर्वतारोहण सेंटर बना हुआ है, उसमे धर्मगुरु दलाईलामा के 11 अलग-अलग चित्रों को लगाया गया। माक्र्सवादी नीति वाले चीन ने वर्ष 1959 में आजाद देश तिब्बत पर अतिक्रमण कर लिया था। इस दौरान 14वें तिब्बति धर्मगुरु दलाईलामा अपने हजारों तिब्बति समर्थकों के साथ 31 मार्च, 1959 को भारत में शरणार्थी बनकर पहुंचे थे। इसके बाद भारत सरकार की ओर से तिब्बतियों को मकलोडगंज में ठिकाना मिला था। इस दौरान सबसे पहले मकलोडगंज के स्वर्ग आश्रम में धर्मगुरु दलाईलामा को आश्रय मिला था। वहीं क्षेत्रीय पर्वतारोहण के प्रभारी लूदर सेन के प्रयासों से स्वर्ग आश्रम में दलाईलामा की स्मृतियों को लेकर मिनी म्यूजिम बनाया गया है। इस दौरान प्रभारी लूदर सेन ने बताया कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं, जो उन्हें इस स्वर्ग आश्रम में काम करने का मौका मिला। (एचडीएम)

1970-1975 के बीच सरकार के अधीन हुआ था आश्रम

1960 से लेकर 1970 तक धर्मगुरु महामहिम दलाईलामा मकलोडगंज के समीप धर्मकोट स्थित स्वर्ग आश्रम में रहे हैं। करीब 1970-1975 के बीच में इसे सरकार के अधीन ले लिया गया था। अब इसमें क्षेत्रीय पर्वतारोहण केंद्र चलाया जा रहा है