जिला परिषद कर्मियों के लिए बनेगी पॉलिसी; पंचायती राज मंत्री बोले, जल्द होगा समस्या का समाधान

कार्यालय संवाददाता — बंगाणा

हिमाचल प्रदेश के जिला पार्षद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास पंचायती राज में मर्ज करने के लिए अलग संविधान तैयार किया जा रहा है, ताकि जिला पार्षद कर्मचारियो की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो सके। यह बात ग्रामीण विकास पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बंगाणा में मीडिया से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गांव, गरीब और आम आदमी की सरकार है। हर व्यक्ति का कार्य सरकार कर रही है। मनरेगा मजदूरों की तीन माह से सैलरी न मिलने पर मंत्री अनिरुद्ध ने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा फंड रोका हुआ है।

केंद्र सरकार से अगर मनरेगा फंड नहीं आया, तो राज्य सरकार मनरेगा मजदूरों की अदायगी के लिए धन उपलब्ध करवाएगी। मंत्री अनिरुद्ध ने कहा कि राज्य सरकार पर पहले ही 75 हजार करोड़ का कर्ज है। 11 हजार करोड़ सरकारी कर्मचारियों की देनदारियां है। पांच हजार करोड़ कर्मचारियों की डीए बकाया है। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खू ने कर्मचारियों की डीए की एक कि़स्त दे दी है, लेकिन फिर भी सरकार पर अभी हजारों करोड़ की अदायगी बाकी है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के लिए ओपीएस सरकार ने लागू कर दी है।

वाटर सेस पर प्रदेश से भेदभाव कर रही केंद्र सरकार

पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि वाटर सेस पर भाजपा राजनीति कर रही है। जहां राजस्थान, हरियाणा, जम्मू आदि राज्यों में वाटर सेस पर सरकारों को हजारों करोड़ का मुनाफा हो रहा है, तो हिमाचल सरकार से भाजपा क्यों भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर कड़ा संज्ञान लेकर वाटर सेस पर हिमाचल सरकार को अनुमति प्रदान करनी होगी। इस से हिमाचल सरकार की आर्थिकी मजबूत करने के लिए 4-5000 करोड़ का मुनाफा हो सके। इस मौके पर बिधायक लखनपाल, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र कुमार भुट्टो रेडक्रॉस सोसायटी के राज्य संयोजिक सुरेंद्र ठाकुर भी मौजूद रहे।