श्रीखंड यात्रा आज से, हिमाचल तैयार, 21 जुलाई तक चलेगा दौर, आसान नहीं सफर

छविंद्र शर्मा-आनी

कहते हैं भगवान आसानी से नहीं बल्कि कड़ी तपस्या से मिलते हैं और आनी विधानसभा क्षेत्र के निरमंड उपमंडल की 18570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड कैलाश पर्वत की चोटी पर बसे भोले बाबा भी 35 किलोमीटर की कठिनतम, जोखिम भरी लेकिन रोमांचक यात्रा के बाद मिल पाते हैं। श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आधिकारिक तौर पर यात्रा की तारीख इस साल सात जुलाई से 21 जुलाई तक तय की गई है, लेकिन भोले बाबा के भक्तों को न तो मौसम रोक पा रहा है न ही ट्रस्ट की तय की गई तारीखें।

श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा निरमंड के जाओं गांव से आरंभ होती है जो श्रीखंड के शीर्ष तक लगभग 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा है। इस यात्रा का पूरा रास्ता काफी खतरनाक है। इसी कारण इस यात्रा को अमरनाथ यात्रा से भी कठिन माना जाता है। एचडीएम

भस्मासुर राक्षस को मिला था वरदान

पौराणिक कथा के अनुसार भस्मासुर नाम का एक राक्षस था जिसने कठोर तपस्या से भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। फिर उसके मन में पाप आ गया और वह माता पार्वती से विवाह करने के बारे सोचने लगा और वह भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें नष्ट करना चाहता था। तब भगवान विष्णु ने मोहनी का रूप धारण करके भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य करते हुए भस्मासुर ने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और वह भस्म हो गया। इस कारण आज भी यहां की मिट्टी और पानी लाल दिखाई देते हैं।