शहर के पुस्तकालय खाली, पाठक गायब

शिमला के उपनगरों से शहर के लिएं बंद पड़ी हंै मुख्य सडक़ें, बारिश में दिक्कतें

मनजीत सिंह-शिमला
शहर में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि हमेेशा पाठकों से भरे पुस्तकालयों में रौनक गायब हो गई। आम दिनों में जहां पाठकों को सीटों के लिए घंटों इंतजार करना पडता वहीं आपदा आने के बाद पुस्तकालयों से पाठक गायब हो गए हैं। दरअसल शिमला के उपनगरों से शहर के लिए मुख्य सडक़ें बंद पड़ी हंै तथा बारिश का दौर लगातार जारी है। पाठक और अभिभावक डरे हुए हैं। सोमवार से पाठकों की संख्या आधे से भी कम रह गई है। बीते सोमवार को जहां अंबेडकर राज्य पुस्तकालयों की सिर्फ 36 पाठक ही पहुंच पाए। शनिवार और रविवार को भी सीटें खाली ही रही। शहर के लिए मुख्य सडक़ हिमलैंड के पास पांच दिनों से बंद है। इस कारण संजौली, पंथाघाटी, कुसुम्पट्टी, विकासनगर आदि उपनगरों से पुराना बस स्टैंड तक बसों की आवाजाही बंद पडी है। जिससे शहर में नौकरी करने वाले लोग, स्कूल-कालेजों के छात्र व आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

अंबेडकर पुस्तकालय में पढ रहे विकास वर्मा कहते है पुुस्तकालय के लिए पैदल चलना पड़ रहा है, शहर की अधिकतर सडक़ें बंद है। राज्य पुस्तकालयों की तीन इमारतें है ंजिसमे विधानसभा स्थिति पुस्तकालय जिसका निर्माण 2019 में 10 करोड़ रुपए की लागत से हुआ था। यह पुस्तकालय भवन सात मंजिला है। अन्य पुस्तकालयों में इवनिंग स्टीड स्थित पुस्तकायल व रिज मैदान में एतिहासिक पुस्तकालय शामिल है।  आम दिनों में पाठक सीटों के चक्कर में पाठकों को पुस्तकालय की सातों मंजिलों में घूमना पड़ता है। जिससे पाठकों को काफी परेशानियों का सामना करना पडता है। शहर के हर कोने से पाठक पुस्तकालय में पढऩे आते हैं पर सीटें न मिलने से उन्हें निराश होकर वापस जाना पडता है। अंबेडकर पुस्तकालय इंचार्ज गोपाल शर्मा ने बताया कि तीनों पुस्तकालयों की में बैठने के लिए 844 सीटें हैं, जिनमे पंजीकृत सदस्यों की संख्या 30,600 और सक्रिय सदस्यों की संख्या 15,000 के करीब हैं। (एचडीएम)

10 करोड़ रुपए की लागत से बनी थी लाइब्रेरी
उल्लेखनीय है कि राज्य पुस्तकालयों की तीन इमारतें हैं । जिसमें विधानसभा स्थिति पुस्तकालय जिसका निर्माण 2019 में 10 करोड़ रुपए की लागत से हुआ था। यह पुस्तकालय भवन सात मंजिला है।

पाठकों को पैदल आना पड़ रहा पुस्तकालय
पुस्तकालय में पढने आने वाल़े नीरज कहते है कि 2 घंटे पैदल कुसुम्पट्टी से पैदल सफर करना पड रहा है। शाम को भी जल्दी ही वापस जाना पडता है। जिससे पढाई बाधित हो रही है। राकेश शर्मा कहते है कि प्रशासन को शीघ्र ही सडक़ें खोल देनी चाहिए। हमे पुस्तकालय पहुचने में परेशानियों का सामना करना पड रहा है। रिज मैदान स्थित लाइब्रेरी में यही हाल है, छात्र शाम को सडक़ें खराब होने के कारण जल्दी ही पुस्तकालय से वापस चले जाते हैै। पाठकों ने प्रशासन से शहर की सभी सडक़ों को खोलने का आग्रह किया है।