भारत में 25 प्रतिशत महिलाएं ही करवा रही हैं अपने बच्चों को स्तनपान

जालंधर। पंजाब इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (पिम्स) के कार्यकारी निदेशक डा. कंवलजीत सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत में अभी तक केवल 25 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं ही अपने बच्चों को स्तनपान करवा रही हैं। पिम्स में स्तनपान दिवस गायनी विभाग औऱ बच्चों की बीमारियों से संबंधित विभाग की ओऱ से संयुक्त रूप से मनाया गया। इस अवसर पर डा. कंवलजीत सिंह ने बताया कि इस साल की थीम है ‘लेट्स मेक ब्रेस्टफीडिंग एंड वर्क-वर्क।’ यानी कि स्तनपान को बढ़ावा देना, कामकाजी माता-पिता के लिए बदलाव लाना।

उन्होंने कहा कि भारत में अभी तक केवल 25 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चे को स्तनपान करवा रहीं है, जबकि यह आंकड़ा 100 प्रतिशत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विषय को इसलिए चुना गया क्योंकि कामकाजी महिलाओं द्वारा कभी स्तनपान न कराना, कम समय तक स्तनपान करवाने या स्तनपान बंद करने जैसी समस्याएं आम कारण बनी हुई है। कामकाजी महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए ज्यादा समय और मदद की जरूरत होती है औऱ काम के क्षेत्र में यह कई तरह के बदलाव लाता है।

रेजिडेंट डायरेक्टर अमित सिंह ने कहा कि पिम्स की ओऱ से मनाये गये कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया को स्तनपान एक बच्चे और मां के लिए कितना जरूरी है, उसे लेकर जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि स्तनपान सप्ताह एक ऐसा कार्यक्रम है जो हर साल अगस्त के पहले हफ्ते मनाया जाता है। सप्ताह भर चलने वाला यह कार्यक्रम मां औऱ शिशु दोनों के लिए बेहद जरूरी है। डायरेक्टर प्रिंसिपल डा. राजीव अरोड़ा ने जागरुकता कार्यक्रम में आए सभी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि पिम्स में ऐसे कार्यक्रम करवाने का मकसद लोगों में जागरुकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि हमारा फर्ज भी बनता है कि मां और बच्चे को स्वस्थ्य रखना।

गायनी विभाग की प्रोफेसर एंड हेड डा. एच के चीमा ने बताया कि लोगों का ऐसा मानना है कि स्तनपान दर्दनाक होता है और स्तनपान कराने से स्तनों को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, यह आम मिथक है। इससे कोई नुकसान नहीं पहुचता । बल्कि स्तनपान से महिलाएं कई प्रकार की बीमारियों से बचती हैं। उन्होंने कहा कि कई बार स्तनपान न कराने से महिलाओं को छाती के कैंसर होने का खतरा रहता है।

बच्चों के विभाग के डा. जतिंदर सिंह, पुष्पिंदर मागो और डा. अनुराधा बांसल ने कहा कि बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए उचित पोषण का ध्यान रखना बहुत आवश्यक माना जाता है। उन्होंने कहा कि नवजात के लिए मां का दूध शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने में सबसे उपयुक्त होता है। प्रसव के बाद मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे की सेहत के लिए अमृत के समान होता है। उन्होंने बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के लिए सख्त मना किया। उन्होंने कहा कि बच्चों में ज्यादातर बीमारियों की जड़ बोतल से दूध पिलाने की है। सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एंड हेड डा. रजनीश कुमार ने भी संबोधित किया।