सांस्कृतिक चेतना की संवाहक है हिंदी…

प्रत्येक भाषा अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक चेतना की संवाहक व संरक्षक मानी जाती है। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी वैज्ञानिक भाषा होने के साथ-साथ बोलने, सीखने, लिखने में बहुत ही आसान है। सन 1991 की जनगणना के अनुसार तैंतीस करोड़ बहत्तर लाख बहत्तर हजार चौदह लोगों ने इसे मातृभाषा लिखाया है। सूचना प्रोद्यौगिकी में भी हिंदी के कदम नित नए आयाम तय कर रहे हैं। हिंदी दिवस के सुअवसर पर सभी को इसके प्रचार-प्रसार में सहयोग देने का प्रण लेना चाहिए। यह खेद का विषय है कि अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों में अगर कोई बच्चा हिंदी में बात करता है, तो उसे डांट पड़ती है। ऐसी स्थिति में हिंदी को उसका सम्मान दिलाना बहुत मुश्किल है। हमारी भावी पीढ़ी हिंदी से दूर होती जा रही है। सभी भारतीयों को हिंदी को सम्मान दिलाने के लिए प्रयास करने चाहिए।

-रवि कुमार सांख्यान, बिलासपुर