वर्ल्ड बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में हिमाचल का डंका

मंडी के 11 वर्षीय सोहम सकलानी ने सुजानपुर टीहरा में एक मिनट दो सेकंड में किया हनुमान चालीसा का पाठ

नीलम शर्मा— संधोल

मंडी जिला के संधोल से संबंध रखने वाले सोहम सकलानी ने भारत का नाम विश्व पटल पर आगे किया है। दरअसल, हिमाचल के संधोल के रवाडा गांव के रहने वाले सोहम ने हमीरपुर के सुजानपुर टीहरा में 13 सितंबर, 2023 को इतिहास रच दिया। 11 साल की छोटी उम्र में सोहम ने एक मिनट और दो सेकंड समय में हनुमान चालीसा का पाठ करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। इस अविश्वसनीय उपलब्धि ने उन्हें सबसे तेज समय में हनुमान चालीसा पढऩे का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले सबसे कम उम्र के बच्चे का खिताब दिलाया है। उनका नाम वल्र्डवाइड बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज किया गया है। इतनी कम उम्र में सोहम सकलानी ने खुद को एक असाधारण प्रतिभा के रूप साबित किया है। हनुमान चालीसा एक प्रतिष्ठित भजन है, जिसमें 40 छंद शामिल हैं, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में साहस, शक्ति और भक्ति के प्रतीक भगवान हनुमान को समर्पित हैं। इसे दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा श्रद्धा और प्रार्थना के रूप में पढ़ा जाता है। बता दें कि सोहम की माता चंचल सकलानी एक कुशल गृहिणी हैं, पिता विकास सकलानी स्वरोजगार करते हंै। (एचडीएम)

राजगढ़ के जोगेंद्र हाब्बी ने लोकनृत्य प्रतियोगिता में लगातार दसवीं बार झटका पहला स्थान

नितिन भारद्वाज— राजगढ़

निदेशालय भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला सिरमौर में प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली लोकनृत्य प्रतियोगिताओं में लगातार दसवीं बार प्रथम स्थान प्राप्त कर राजगढ़ के जोगेंद्र हाब्बी ने अब वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉड्र्स में नाम दर्ज करवाकर लोकनृत्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है। गौरतलब है कि भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला सिरमौर में वर्ष 2011-12 से से आरंभ की गई लोकनृत्य प्रतियोगिताओं में जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व एवं निर्देशन में चूड़ेश्वर लोकनृत्य सांस्कृतिक मंडल व आसरा संस्था के कलाकारों ने प्रत्येक बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। फलस्वरूप जोगेंद्र हाब्बी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स और अब वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉड्र्स लंदन में दर्ज हो चुका है। जोगेंद्र ने वल्र्ड रिकॉर्ड का श्रेय अपने गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक व सहयोगी कलाकारों को दिया। आसरा तथा चूड़ेश्वर मंडल के सभी कलाकारों का विशेष आभार व्यक्त किया जिन्होंने लगातार मेहनत कर प्रथम पुरस्कार को अब तक लगातार बरकरार रखा। (एचडीएम)