Ayodhya Ram Mandir: बैलगाड़ी से 600 किलो देशी घी अयोध्या पहुंचा, नौ वर्षों से किया जा रहा था एकत्रित

एजेंसियां — अयोध्या

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सभी राम भक्तों’ को इंतजार है। इसको लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। श्रद्धालु रामलला को तरह-तरह की वस्तु भेंट कर रहे हैं। इसी कड़ी में प्राण प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान के लिए राजस्थान के जोधपुर से देशी गाय का शुद्ध 600 किलो घी अयोध्या आया है। ये देशी घी राम मंदिर में अखंड ज्योति और इसके साथ ही रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में उपयोग किया जाएगा। बता दें कि 108 कलश में 600 किलो देशी घी 27 नवंबर को जोधपुर से निकला था। इसे पांच बैलगाडिय़ों पर लेकर जोधपुर के संत महर्षि सांदीपनि जी महाराज गुरुवार को अयोध्या पहुंचे हैं। सांदीपनि जी बताते हैं कि 27 नवंबर को हम लोग घृत (घी) पद यात्रा लेकर निकले थे। गुरुवार को प्रभु राम की नगरी अयोध्या में पहुंचकर ट्रस्ट के पदाधिकारी से मिलकर उन्हें घी को समर्पित किया है। इस यात्रा में 108 कलश में शुद्ध गाय के घी रखे गए हैं, जिसमें सब मिलाकर लगभग 600 किलोग्राम घी है।

सांदीपनि गो सेवा ट्रस्ट जोधपुर के अध्यक्ष सांदीपनि जी बताते हैं कि जोधपुर से आए बैलों वाले रथ अपने साथ गाय के घी से भरे कलश लेकर अयोध्या की परिक्रमा करेंगे और उसके बाद यह घी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा जाएगा। इसके बाद गाय के घी वाले कलश श्री राम जन्मभूमि परिसर भेजे जाएंगे और इनका प्रयोग श्री राम मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति को जलाने और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में किया जाएगा। वहीं, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राजस्थान से घी वाले रथ आए हैं। अब ये अयोध्या की परिक्रमा करेंगे और उसके बाद घी को श्री राम जन्मभूमि पर कर पहुंचाया जाएगा। जहां इसका इस्तेमाल श्री राम का दीपक जलाने और प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान किया जाएगा। वहीं, कंबोडिया से अयोध्या हल्दी भी लाई गई है।

नौ साल से किया जा रहा था इक्_ा

इस घी का इस्तेमाल अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा और रामलला के गर्भगृह में जलाए गए अखंड ज्योति में किया जाएगा। इतना ही नहीं यह घी नौ वर्षों से एकत्रित किया जा रहा था, जब लोग सपने में नहीं सोच रहे होंगे कि प्रभु राम का मंदिर कब बनेगा, तब से हम लोग घी को एकत्रित कर रहे हैं।