हिमाचल प्रदेश में कोर्ट केस, और जगह दो-दो डिप्टी सीएम, उपमुख्यमंत्री पर खुद ही घिर गई भाजपा

उपमुख्यमंत्री पर खुद ही घिर गई भाजपा, अब सीनियर लीडर भी नहीं बता पा रहे, किस आधार पर दी कोर्ट में चुनौती

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला

हिमाचल के बाद अब चार बड़े राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बनी नई सरकारों से हिमाचल भाजपा के एक फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। यह फैसला था हिमाचल में उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती देने का। वर्तमान में राज्य सरकार में मुकेश अग्निहोत्री उपमुख्यमंत्री हैं और उनकी नियुक्ति को भाजपा की तरफ से मुख्य संसदीय सचिवों के साथ चुनौती दी गई है। यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है और 20 दिसंबर को अगली सुनवाई है, लेकिन इसी बीच चार बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और चारों में उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति हो गई। इनमें से छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है और हर प्रदेश में भाजपा ने दो-दो उपमुख्यमंत्री नियुक्त किए गए हैं। यदि मध्य प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बने राजेंद्र शुक्ला की शपथ को सुना जाए, तो वह उसी तरह शपथ ले रहे हैं, जैसे रिज पर मुकेश अग्निहोत्री ने ली थी। इसलिए भाजपा नेताओं का यह तर्क भी सही नहीं बैठता कि इस नियुक्ति को तकनीकी आधार पर चुनौती दी गई है। हालांकि इस केस में फैसला माननीय उच्च न्यायालय को करना है, लेकिन राजनीतिक दल के तौर पर उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति को चुनौती देना और फिर खुद भी उपमुख्यमंत्री नियुक्त करना सवाल खड़े करता है।

देश में इस समय 30 से ज्यादा उप मुख्यमंत्री हो गए हैं। यदि भारतीय जनता पार्टी ने अन्य राज्यों में भी उपमुख्यमंत्री नहीं लगाए होते तो कोर्ट में चुनौती देने कि फैसले को सही ठहराया जा सकता था। इन तीन बड़े राज्यों में उपमुख्यमंत्री भाजपा की ओर से ही नियुक्त करने के बाद जब हिमाचल भाजपा के शीर्ष नेताओं से इस बारे में पूछा जाता है, तो कोई यह नहीं बताता कि यह फैसला किस स्तर पर हुआ था? हालांकि हिमाचल में भाजपा का मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने का फैसला इसलिए वाजिब कहा जा सकता है, क्योंकि पूर्व भाजपा सरकार में भी सीपीएस नियुक्त नहीं किए गए थे।

सीपीएस की नियुक्ति रद्द होनी चाहिएं

उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति को चुनौती देने वाले केस को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना था कि उनका कंसर्न मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति तक है। ये नियुक्तियां संविधान और कोर्ट के फैसलों के विपरीत हैं। इन्हें रद्द करवाने के लिए भाजपा आखिरी फैसले तक लड़ेगी। उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति को किसी तकनीक की आधार पर चुनौती दी गई होगी और इस बारे में लीगल टीम ही बेहतर बता सकती है।