चेतना का अस्तित्व

श्रीराम शर्मा

आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी प्राणियों में एक ही चेतना का अस्तित्व विद्यमान है। शरीर की दृष्टि से वे भले ही अलग-अलग हों, पर वस्तुत: आत्मिक दृष्टि से सभी एक हैं। इस संदर्भ में परामनोविज्ञान की मान्यता है विश्व मानस एक अथाह और असीम जल राशि की तरह है। व्यक्तिगत चेतना उसी विचार महासागर की एक नगण्य सी तरंग है, इसी के माध्यम से व्यक्ति अनेक विविध चेतनाएं उपलब्ध करता है और अपनी विशेषताएं सम्मिलित करके फिर उसे वापस उसी समुद्र को समर्पित कर देता है। इच्छा शक्ति द्वारा वस्तुओं को प्रभावित करना अब एक स्वतंत्र विज्ञान बन गया है, जिसे ‘साइकोकिनेसिस’ कहते हैं। इस विज्ञान पक्ष का प्रतिपादन है कि ठोस दिखने वाले पदार्थों के भीतर भी विद्युत अणुओं की तीव्रगामी हलचलें जारी रहती है। इन अणुओं के अंतर्गत जो चेतना तत्त्व विद्यमान है, उन्हें मनोबल की शक्ति तरंगों द्वारा नियंत्रित और परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार मौलिक जगत पर मन:शक्ति के नियंत्रण को एक तथ्य माना जा सकता है। भारत ही नहीं, अपितु अन्य देशों में भी अभ्यास द्वारा इच्छाशक्ति बढ़ाने और उसे प्रखर बना लेने के रूप में ऐसी कई विचित्रताएं देखने को मिल जाती हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य कुछ विशेष परिस्थतियों में ही शांत, संतुलित, सुखी और संतुष्ट भले ही रहता हो, परंतु इच्छाशक्ति को बढ़ाया जाए तथा अभ्यास किया जाए, तो वह अपने को चाहे जिस रूप में बदल सकता है। इच्छा और संकल्प शक्ति के आधार पर असंभव लगने वाले दुष्कर कार्य भी किए जा सकते हैं।

कुछ वर्ष पूर्व मैक्सिको में डा. राल्फ एलेग्जेंडर ने इच्छाशक्ति की प्रचंड क्षमता का सार्वजनिक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन यह था कि आकाश में छाए बादलों को किसी भी स्थान से किसी भी दिशा में हटाया जा सकता है और उसे कैसी भी शक्ल दी जा सकती है। इतना ही नहीं, बादलों को बुलाया और भगाया जा सकता है। एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ऐलेन एप्रागेट ने साइकोलॉजी पत्रिका में उपरोक्त प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए बताया कि मनुष्य की इच्छा शक्ति अपने ढंग की एक सामथ्र्यवान विद्युत धारा है और उसके आधार पर प्रकृति की हलचलों को प्रभावित कर सकना पूर्णतया संभव है। अमरीका के ही ओरीलिया शहर में डा. एलेग्जेंडर ने एक शोध संस्थान खोल रखा है जहां वस्तुओं पर मन: शक्ति के प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन विधिवत किया जा रहा है। तदोनुसार एक व्यक्ति के विचार दूरवर्ती दूसरे व्यक्ति तक भी पहुंच सकते हैं और वस्तुओं को ही नहीं, व्यक्तियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह तथ्य अब असंदिग्ध हो चला है। अनायास घटने वाली घटनाएं ही इसकी साक्षी नहीं है, वरन् प्रयोग करके यह भी संभव बनाया जा सकता है कि यदि इच्छाशक्ति आवश्यक परिमाण में विद्यमान हो या दो व्यक्तियों के बीच पर्याप्त घनिष्ठता हो तो विचारों के वायरलैस द्वारा एक दूसरे से संपर्क संबंध स्थापित किया जा सकता है और अपने मन की बात कही, सुनी जा सकती है। कई प्रामाणिक तथ्य मिले हैं, जिसके आधार पर यह प्रतिपादित किया गया है कि मनुष्य अपनी बढ़ी हुई इच्छाशक्ति को और बढ़ाकर इस संसार के सिरजनहार की तरह समर्थ और शक्तिमान बन सकता है।