विलुप्त होती गाय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मकर संक्रांति के दिन अपने निवास पर गायों का पूजन किया। जब आंध्रप्रदेश की पुंगनूर नस्ल की इन गायों को चारा खिलाते मोदी की खूबसूरत तस्वीरें मीडिया में आईं तो आम जनमानस ने उन्हें देर तक निहारा। इन तस्वीरों को देखकर गो-भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। हिंदू संस्कृति में प्रत्येक शुभ दिन गो-पूजा करने का विधान है। हिंदू सभ्यता एवं संस्कृति में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति की भांति मोदी में गाय के प्रति आदर भाव स्वाभाविक तौर पर है। मकर संक्रांति पर मोदी ने जिस आदर भाव को व्यक्त किया है, वह गायों के संरक्षण एवं संवद्र्धन के लिए जन-जन की प्रेरणा का स्रोत बनेगा, यह आशा की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी देश के ऐसे नेता हैं, जिनका अनुसरण उनके करोड़ों समर्थक करते हैं। मोदी जो कहते हैं, जो करते हैं, वह उनके समर्थकों के लिए अनुकरणीय हो जाता है। संदेश देने की मोदी की अपनी खास शैली है। वह उचित अवसर पर कुछ ऐसा कर देते हैं जिससे आम जनमानस प्रभावित होता है। मोदी की कार्यशैली देश के करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है। यही वजह है कि मोदी की बदौलत विभिन्न जन जागरण और सामाजिक बदलाव के कार्य सहजता से सफल हो जाते हैं। स्वच्छ भारत, फिट इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जल संरक्षण और जल संचय, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत, सुगम्य भारत और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा जैसे उदाहरण हमारे सामने हैं।

ये सब देश को प्रगति के पथ पर ले जाने वाले और सामाजिक परिवर्तन के कार्यक्रम हैं। अब ताजा उदाहरण संक्रांति पर गायों की पूजा का है। सवाल उठता है कि संक्रांति पर पूजन के लिए मोदी ने आंध्रप्रदेश की पुंगनूर नस्ल की इन छोटे कद की गायों को ही क्यों चुना? क्या इसके पीछे मोदी की कोई संदेश देने की भावना निहित है? जी हां, बिल्कुल ऐसा ही है। मोदी ने इन गायों के पूजन के जरिए हर भारतीय को गो सेवा का संदेश दिया है। पुंगनूर गायों को इसलिए चुना गया है क्योंकि अत्यधिक पौष्टिक और औषधीय महत्व का दूध देने वाली ये गाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं और इस नस्ल को बचाने के लिए आंध्रप्रदेश में प्रयास किए जा रहे हैं। जाहिर है, मोदी ने न केवल विलुप्त हो रही इन गायों को बचाने की आवश्यकता प्रतिपादित की है, बल्कि इसके साथ-साथ सभी नस्लोंं की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन पर भी जोर दिया है। मोदी के गो संरक्षण के इस संदेश के पीछे ग्रामीण भारत को आगे ले जाने की भावना निहित है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है और गाय के बिना ग्रामीण भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय सनातन संस्कृति में गाय का अत्यंत महत्व है। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं के वास की धार्मिक मान्यता है। धार्मिक मान्यताओं में गाय को पाप हरने वाली और वातावरण को सकारात्मकता से भर देने वाली बताया गया है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। विलुप्त हो रही गायों के संरक्षण के लिए समाज को आगे आना होगा।

प्रो. एमसी गुप्ता

शिक्षाविद