आस्था का महापर्व माघ मेला

तीर्थराज प्रयाग में लगने वाला माघ मेला देश-विदेश के लाखों लोगों की धार्मिक, आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है। इस मेले में लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। मिनी कुंभ कहलाने वाले इस धार्मिक और सांस्कृतिक मेले का बड़ा महत्त्व है। माना जाता है कि जितने दिन यह माघ मेला रहता है, वे दिन चार युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के बराबर होते हैं। पूरी दुनिया में बसे हिंदू और हिंदू सनातन संस्कृति पर आस्था रखने वाले हर साल दुनिया के कोने-कोने से लाखों लोग प्रयाग के माघ मेले में अपनी तरह-तरह की मनोकामनाओं को लेकर आते हैं। हजारों धर्म और संस्कृति के विदेशी अध्येता इस मिनी कुंभ मेले में यह देखने आते हैं कि कैसे हजारों सालों से इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा बनी हुई है। जैसा कि हम जानते हैं सनातन हिंदू संस्कृति में पवित्र स्नानों का बहुत महत्त्व है। इस मेले में पहला विशिष्ट स्नान मकर संक्रांति का होता है और दूसरा पौष पूर्णिमा का होता है, तीसरा मौनी अमावस्या को, चौथा वसंत पंचमी, पांचवां माघ पूर्णिमा और छठा स्नान महाशिवरात्रि का होता है। गौरतलब है कि पूरे माघ मेले के दौरान लाखों साधक संगम के तट पर कुटिया बनाकर कल्पवास करते हैं। इस कल्पवास के दौरान ये लोग सुबह-शाम संगम में स्नान करते हैं और दिन-रात यहां रहकर भगवान की पूजा-ध्यान में लीन रहते हैं। कहते हैं कि एक महीने के कल्पवास से एक कल्प का पुण्य मिलता है। एक कल्प ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है और ब्रह्मा जी का एक दिन 1000 महायुग के बराबर होता है।

माना जाता है कि माघ मेला ब्रह्मा जी द्वारा समूचे ब्रह्मांड के निर्माण का जश्न है। माघ मेले में कई तरह के यज्ञ होते हैं। विभिन्न तरह की प्रार्थनाएं की जाती हैं और अनगिनत अनुष्ठान संपन्न होते हैं। यह ऐसा सांस्कृतिक आयोजन होता है, जहां साधु, संत, गृहस्थ, नागा सभी एक साथ अपनी धार्मिक आस्थाओं के अनुष्ठान संपन्न करते हैं। माघ मेले के दौरान कल्पवास करने वाले साधकों को अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है। कल्पवास की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और इसके पीछे उद्देश्य इनसान की आत्म शुद्धि का रहा है। कहते हैं संगम के तट पर एक महीने तक निवास करके वेदों का अध्ययन करने और ध्यान योग करने से इनसान की मन:स्थिति पूरी तरह से आध्यात्मिक रंग में रंग जाती है। धार्मिक मान्यता है कि एक कल्पवास प्रयागराज में रहकर तप और ध्यान करने वालों को हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर का पुण्यलाभ मिलता है। यही वजह है कि हर साल यहां लाखों लोग कल्पवास के लिए डेरा डालते हैं। माना जाता है कि कल्पवास में ब्रह्मांड की सारी शक्तियों का प्रयाग के संगम तट पर चुंबकीय प्रभाव पड़ता है, जिससे तन और मन ऊर्जा से लबालब हो जाते हैं।