समस्या का समाधान

बाबा हरदेव

गतांक से आगे..

प्रेम बढ़ता गया, बढ़ता ही गया। परंतु बुल्लेशाह के परिवार वालों को यह पसंद नहीं था। मिलने-जुलने वाले व संबंधी भी रोकने लगे और कहने लगे कि अरे तू (मुस्लमानों की ऊंची जाति) होकर अराईं जाति वाले व्यक्ति के पास जाता है। हमारा और उसका क्या मेल? वो छोटी जाति का है, तू ऊंची जाति का है। ये अच्छा नहीं है। तू वहां जाना छोड़ दे। अपने कुल को कलंकित न कर। अब बुल्लेशाह मुरशद के पास छुप-छुपकर जाने गले। परंतु यह बात छिपी नहीं रही।

संबंधियों के अत्यधिक कटु वचन सुनकर बहुत दुविधा में पड़ गए कि अगर गुरु की टेक छोड़ता हूं तो परलोक बिगड़ता है, अगर गुरु का सहारा नहीं छोड़ता तो रिश्तेदारी बिगड़ती है। एक दिन यही सोचते हुए बुल्लेशाह सडक़ से गुजर रहे थे। सामने सडक़ पर एक स्त्री झाड़ू लगा रही थी उसने देखा बुल्लेशाह को कहा, शाह जी एक तरफ हो जाओ, नहीं तो मुंह पर मिट्टी पड़ जाएगी। बुल्लेशाह के हृदय पर इस बोल का असर हो गया और बोल उठे वाह, सडक़ पर ही मेरी समस्या का समाधान कर दिया। और यह कहकर बुल्लेशाह उस स्त्री के चरणों में गिर पड़े और कहने लगे कि तुमने मुझे बचा लिया, तुम्हारा शुक्रिया। मैं तो मुरशद के दर से टूटने लगा था, तुमने सावधान किया है कि एक तरफ हो जाओ, नहीं तो मुंह पर मिट्टी पड़ जाएगी। अब मुझे दुनिया की कोई परवाह नहीं। मुरशद से प्रेम हो गया तो हो गया।

अब मैं यह आनंद नहीं छोड़ सकता। बुल्लेशाह ने मुरशद के प्रेम के कई गीत लिखे जो आज भी बड़े प्रेम से गाए जाते हैं।

बार-बार नाते मिलें लख चौरासी माहि,
सहजो सद्गुरु न मिले पकड़ निकासो बाहि।

भीलनी की प्रेमाभक्ति आज भी हमें प्रेरणा देती है कि भक्ति करो तो दृढ़ता के साथ करो। अटूट प्रेम करो। प्रेम कुर्बानी मांगता है और छोटी-मोटी कुर्बानी नहीं। तुम धन दे दोगे, मकान दे दोगे, शरीर दे दोगो। नहीं और कुछ भी देने से नहीं चलेगा,बल्कि तुम्हें तो अपने आपको ही देना पड़ेगा। प्रेम तुम्हें मांगता है। प्रेम तुम्हारी कीमत से मिलता है। बुल्लेशाह को मुरशद से प्रेम हुआ तो वह परवरदिगार अल्लाह ताला के प्रेम गीत गाने लगे कि खुदा-खुदा करते-करते मैं खुद खुदा हो गया। लोगों ने जब यह सुना तो राजा से शिकायत कर दी कि बुल्लेशाह अपने आपको खुदा कहता है। राजा के सैनिक आए और पकड़ कर राजा के सामने पेश किया। राजा ने पूछा, बता तू कौन है? बुल्लेशाह ने कहा, मैं बंदा हूं। राजा ने कहा, इसे छोड़ दो। बुल्लेशाह को जब छोड़ दिया तो लोगों ने पूछा, तुम कौन हो? बुल्लेशाह ने कहा, मैं खुदा हूं। फिर राजा के पास शिकायत की गई और फिर बुल्लेशाह को राजा के पास पकडक़र ले गए। राजा ने फिर पूछा, तू कौन है? बुल्लेशाह ने कहा, मैं बंदा हूं। राजा ने छोडऩे का आदेश दिया। बाहर आते ही लोगों ने पूछा, आप राजदरबार में जाते हो तो क्यों नहीं कहते कि मैं खुदा हूं।

अपने ब्यान क्यों बदलते हो? बुल्लेशाह ने कहा, मैं जब राजदरबार में जाता हूं, तो मैं बंदी होता हूं इसलिए बंदा होता हूं और जब बाहर आता हूं मैं खुदमुख्तियार होता हूं इसलिए बंदी नहीं होता। जो खुदमुख्तियार तो केवल खुदा है। इसलिए मैं खुदा हूं। मेरा मुरशद मेरे साथ है इसका मेरे सिर पर हाथ है। अब मेरे रोम-रोम से रब का इशक बोलता है। अब मैं इससे जुदा नहीं हो सकता। – क्रमश: