चंबा में नहीं रुक रहे पर्यटकों के कदम

धार्मिक-साहसिक पर्यटन की संभावनाओं के दोहन को लेकर नहीं उठाए गए कारगर कदम

नगर संवाददाता-चंबा
एक हजार वर्ष पुराने चंबा शहर में मौजूद धार्मिक व साहसिक पर्यटन की संभावनाओं के दोहन को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा सके है। इसके चलते चंबा शहर में प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना पाया है। शहर व आस-पास के पर्यटन स्थलों के दोहन के लिए कोई कदम न उठाए जाने से यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के कदम रूक नहीं पा रहे हैं। पर्यटक शहर में पहुंचने के बाद भूरि सिंह संग्रहालय व दो- तीन ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन करने के बाद वापिस डलहौजी या खजियार का रूख कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चंबा शहर में रावी नदी में राफ्टिंग साहसिक पर्यटन गतिविधियों की अपार संभावनाएं हैं। मगर अब तक इन साहसिक पर्यटन गतिविधियों के दोहन हेतु तैयार योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई है। धार्मिक पर्यटन के विस्तार को लेकर भी कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है। इसके चलते शहर का पर्यटन कारोबार गति नहीं पकड़ पा रहा है।

हालात यह है कि शहर के होटलों व रेस्टारेंटों में केवल मिंजर मेला व मणिमहेश यात्रा के दौरान ही बुक होते हैं। इसके अलावा पूरे वर्ष यहां पर्यटक रूकना पसंद नहीं करते हैं। पर्यटकों का ठहराव न होने से होटल व रेस्टोरेंट का काम घाटे का सौदा बनता जा रहा है। होटल एसोसिएशन की ओर से चंबा में पर्यटन कारोबार को पंख लगाने के लिए समय-समय पर सुझाव दिए जाते हैं, लेकिन इन पर अभी तक अमल होता नहीं दिख रहा है। शहरवासियों की मानें तो चंबा शहर व आस- पास के क्षेत्र में साहसिक व धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं के दोहन को लेकर बेहतर कार्ययोजना को लेकर सरकार को पहल करनी चाहिए, जिससे युवा पर्यटन कारोबार से जुडक़र आर्थिक तौर से स्वालंबी बन सके। उन्होंने कहा कि चंबा शहर में पर्यटकों के ठहराव हेतु इन संभावनाओं का दोहन समय की मांग बन चुका है।