जेल जाने के फायदे…

जेल जाने के फायदे इतने हैं कि आजकल जेल जाने की होड़ सी मची हुई है। एक सोचता है कि वह जेल चला गया तो मैं क्यों पीछे रहूं? इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है और भ्रष्टाचार से होने वाले लाभों से तो आज हम सब परिचित हैं। तिहाड़ जेल तो मानो मंदिर बन गई है, जहां बड़े-बड़े वीवीआईपी डेरा डाले हुए हैं। कई बार तो मुझे वहम होता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म तिहाड़ जेल में ही तो नहीं हुआ था? जेल जाने से व्यक्तित्व का विकास होता है और वह नए कृतित्वों की तरफ अग्रसर होता है। जेल जाना तीर्थयात्रा के समान है। अब आदमी जेल से लौटता है तो उसका सार्वजनिक अभिनंदन होता है। चुनाव में टिकिट मिलता है और चुनाव जीतकर व्यक्ति सांसद या विधायक का पद सुशोभित करता है। फिर इन्हीं में से देश को मंत्री और मुख्यमंत्री मिलते हैं। कई महारथी तो ऐसे हैं, जो हमारे यहां जेल से ही चुनाव जीत जाते हैं। इन कर्णधारों व भाग्यविधाताओं से ही देश चल रहा है। जेल में जाने से बाल भी बांका नहीं होता, बल्कि जीवन का बाल-बाल संवर जाता है। घर में रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या नहीं रहती। यह सारी व्यवस्था सरकार जेलयात्री को स्वयं प्रदान करती है। चोरी, डकैती, गबन, घोटाला और भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने से आर्थिक लाभ होता है और अर्थलाभ आज की दुनिया में सर्वोपरि है। आजकल भ्रष्टाचारी भी कम नहीं हैं, वे लाखों में नहीं, हजारों करोड़ों में हाथ साफ करते हंै। लोग हालांकि इसे काला कारनामा बताते हैं, लेकिन मैं नहीं मानता, क्योंकि भ्रष्टाचारी सदैव सफेदपोश रहता है।

मुस्कान उसके चेहरे पर चिपकी रहती है और वह दनादन नोट छापता है और यह बात फायदे की श्रेणी में है। एक बार जेल जाने का सुख मुझे भी मिलने वाला था, लेकिन भगवान की कृपा हुई और मैं बच गया। डिपार्टमेंटल इनक्वायरी से ही बात टल गई। सच कहूं तो मैं भी छोटा-मोटा भ्रष्टाचारी हूं ही। मौका पाते ही जितना कुछ संभव होता है, उस पर हाथ साफ कर देता हूं। जेल जा आता तो उससे दिल और खुल जाता और मैं आगे नए पायदानों पर कदम बढ़ाता। पिताजी थोड़े पुराने खयालों के हैं, वे अक्सर कहते रहते हैं कि सब कुछ करो, लेकिन सावधानी से करो। जेल जाना ठीक नहीं है। अब मेरे पिताजी को कौन समझाए कि जेल जाना माल मारने के लिए कितना असेंशियल हो गया है। पिताजी जब पटवारी थे, तब चार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए थे और पूरे पांच साल निलंबित रहे थे। इसलिए वे भ्रष्टाचार में सावधानी पर जोर देते हैं। आज की तारीख में जेलों में जाकर देखो तो हजारों सफेदपोश कैद हैं और वहां भी सारी सुख-सुविधाओं का भोग कर रहे हैं। जेल प्रशासन भी हाड-मांस का बना है, उसे भी भूख लगती है और वे अपनी भूख इन्हीं भ्रष्टाचारियों के आसरे शांत करते हैं। इसलिए जेल जाने से डरना नहीं चाहिए। जेल जाने के फायदे एक नहीं, अनेक हैं। मैं इसी जुगाड़ में इन दिनों लगा हूं कि किसी न किसी तरीके से कम से कम एक बार जेल यात्रा कर आऊं। भगवान की कृपा रही तो मैं जल्द ही इस काम में सफल हो जाऊंगा। फिर अपनी पौबारह होगी।

पूरन सरमा

स्वतंत्र लेखक