डेस्टिनेशन वेडिंग : प्रदेश के पर्यटन का भविष्य

स्वारघाट, भाखड़ा व पौंग डैम के किनारे सिर्फ डेस्टिनेशन शादियों के लिए समर्पित रिजॉर्ट बनाए जाएं तो पर्यटन के इस क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। प्रदेश की माली हालत को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत निवेश की है। इस निवेश के लिए विदेशों में जाने की जरूरत नहीं है। सरकार चुनिंदा 100 स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए समर्पित रिजॉर्ट के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध करवा दे तो निवेश के लिए प्रदेश के उद्यमी मौजूद हैं…

‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ के नाम पर गुजरात के जोड़े ने स्पीति के मोरंग गांव में माइनस 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सात फेरे लेकर जहां अपने सपनों को हकीकत में बदल दिया, वहीं साधारण लोगों के लिए यह ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ (गंतव्य शादी) शब्द कौतूहल का विषय भी बन गया। साधारण शब्दों मे डेस्टिनेशन वेडिंग वह शादी है जो घर से दूर किसी प्रसिद्ध स्थान में चुनिंदा मेहमानों के साथ आयोजित की जाती है। तेजी से लोकप्रिय होती जा रही इस तरह की शादियों का मुख्य कारण है कि हर किसी का सपना होता है कि वह अपने होने वाले जीवन साथी के साथ किसी ऐसे सुंदर स्थान पर शादी के बंधन मे बंधे, जिससे वह इन पलों को जीवन भर के लिए यादगार बना सके। कोरोना की समाप्ति के पश्चात भारत में डेस्टिनेशन शादियों का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है, आंकड़े यह बताते हैं।

भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग जड़ें उस परम्परा से खोजी जा सकती हैं, जब दो परिवारों के घर दूर शहरों में होने के चलते वर या वधु पक्ष में से कोई एक पक्ष दूसरे के शहर में आकर शादी की रस्मों को निभाते थे। इसके विपरीत विदेशों में डेस्टिनेशन वेडिंग का प्रचलन बहुत पहले से शुरू हो गया था। खासकर अमरीका में जहां के युवा जोड़े मैक्सिको या बहमास के समुद्री तटों पर शादियों का आयोजन करके रोमांचित महसूस करते थे। भारत में भी डेस्टिनेशन वेडिंग ने 60 और 70 के दशक में अपने पांव पसारे, पर ज्यादातर यह उच्च वर्गीय लोगों में ही लोकप्रिय थी। धीरे-धीरे आगे बढ़ रही इसकी लोकप्रियता को सोशल मीडिया के जमाने में पंख लग गए जब कुछ मशहूर हस्तियों के डेस्टिनेशन वेडिंग की तस्वीरें लोगों के सामने आने लगी और उनकी देखादेखी मध्यमवर्गीय परिवारों ने भी इसे अपना लिया।

भारत में शादियां कितना बड़ा व्यवसाय बन चुकी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ‘कन्फेडेरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेड्स’ के अनुसार नवम्बर 2023 और जून 2024 के बीच भारत में 38 लाख शादियां होंगी जिनमें करीब पौने चार लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और इनमें से बहुत बड़ा हिस्सा डेस्टिनेशन शादियों का है। इन शादियों में एक वे लोग हंै जो देश में ही किसी प्रसिद्ध गंतव्य स्थान में शादी को प्राथमिकता देते हैं, दूसरी श्रेणी में वे आते हैं जो विदेशों में शादियां रचाते हैं। वर्ष 2023 में करीब 5000 भारतीयों ने थाईलैंड, तुर्कीए, वियतनाम, अबुधाबी और श्रीलंका जैसे विदेशी गंतव्यों में डेस्टिनेशन शादियों पर करीब 50000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं हुआ, उल्टे विदेशी मुद्रा कोश की ही हानि हुई। इस बात की चिंता माननीय प्रधानमंत्री भी ‘मन की बात’ के एक एपिसोड में जता चुके हैं।

देश की अर्थव्यवस्था बढऩे से लोगों की आय और खर्च करने की क्षमता में तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय लोग शादियों में पैसा खर्च करने के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं। इस बढ़ी हुई क्षमता का सीधा असर शादियों के आयोजन में देखने को मिल रहा है। एक सर्वे के अनुसार एक उच्च वर्गीय परिवार शादी पर औसतन डेढ़ से दो करोड़ और मध्यमवर्गीय परिवार 20 से 50 लाख रुपए के बीच खर्च करता है। एक शादी के आयोजन में मैरिज पैलेस से लेकर टैंट, केटरिंग, बैण्ड से लेकर कई तरह की तैयारियां करनी पड़ती हैं, पर अगर ये सारी सुविधाएं एक ही स्थान, विशेषकर किसी प्रसिद्ध स्थान पर तय बजट से थोड़े से ज्यादा पैसा खर्च करके मिल रही हों तो लोग ज्यादा पैसा खर्च करने में गुरेज नहीं करते हैं। लोगों की इसी सोच के कारण जयपुर, उदयपुर, गोवा, केरल, अंडेमान निकोबार, आगरा व चंडीगढ़ जैसे विख्यात पर्यटक स्थल डेस्टिनेशन शादियों के केन्द्र के रूप में तेजी से उभर रहे हैं।

देखा जाए तो डेस्टिनेशन वेडिंग पर्यटन का ही एक आयाम है। पर्यटन के क्षेत्र में तो हिमाचल का काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है, पर देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में डेस्टिनेशन वेडिंग की तुलना में हिमाचल का हिस्सा नगण्य ही कहा जा सकता है। चंडीगढ़ के नजदीक होने के कारण कसौली इस तरह की शादियों के लिए आदर्श गंतव्य स्थल के रूप में उभरा है, पर अभी भी चंडीगढ़ के बड़े बड़े फार्म हाऊस की तुलना में यह बहुत पीछे है। शिमला के होटल पीटरहॉफ, वुडविले पैलेस, गोल्डन फर्न, कोठी रिजॉर्ट, क्यारी का होटल मेघदूत व धर्मशाला व पालमपुर के कुछ प्रमुख रिजॉट्र्स में जरूर इस तरह के आयोजन हो रहे हैं। पर पूरे प्रदेश में जितनी क्षमता है, उससे यह बहुत कम है। डेस्टिनेशन शादियों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पूरे महीने में एक होटल जितना लाभ कमाता है, इस तरह की शादियों के आयोजन से वह यह पैसा दो दिन में कमा लेता है। इससे इस व्यवसाय से जुड़े स्थानीय डेकोरेटर, फूल वालों, संगीत आदि से जुड़े लोगों को भी निश्चित ही रोजगार मिलता है।

मोरंग में हुई एक डेस्टिनेशन वेडिंग ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अगर हम हिमाचल के स्वच्छ पर्यावरण और अतुलनीय दृष्यावलियों को आधार बना कर मार्केटिंग करें तो यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र का नया आधार बन सकता है। स्वारघाट, भाखड़ा व पौंग डैम के किनारे सिर्फ डेस्टिनेशन शादियों के लिए समर्पित रिजॉर्ट बनाए जाएं तो पर्यटन के इस क्षेत्र में क्रांति आ सकती है, क्योंकि इससे उच्च वर्गीय परिवार भी हिमाचल की तरफ आकर्षित होंगे। प्रदेश की माली हालत को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत निवेश की है। और इस निवेश के लिए विदेशों में जाने की जरूरत नहीं है। प्रदेश सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनिंदा 100 स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए समर्पित रिजॉर्ट के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध करवा दे तो निवेश के लिए प्रदेश के उद्यमी ही आगे आ जाएंगे, पर यह सब सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है।

प्रवीण कुमार शर्मा

सतत विकास चिंतक