पहली बार लाहुल-स्पीति में हुए थे निर्दलीय चुनाव, उपचुनाव को लेकर शीत मरुस्थल में गरमाई सियासत

शालिनी भारद्वाज-कुल्लू

लाहुल-स्पीति के राजनीतिक इतिहास में पहली बार होने जा रहे उपचुनाव को लेकर शीत मरुस्थल में सियासत गरमा गई है। उपचुनाव में इस बार कांग्रेस व भाजपा में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी या नहीं इस तो कांग्रेस के उम्मीदवार पर निर्भर करेगा। बहरहाल, लाहुल-स्पीति की राजनीति में पहली बार दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के बीच भूचाल देखने को मिल रहा है। जहां कार्यकर्ता परेशान हंै वहीं मतदाता भी हताश बैठा है। पहली बार ऐसा हुआ है कि लाहुल की राजनीति में पहली बार उपचुनाव और फिर अपनी पार्टी छोड़ एक साल के भीतर में दूसरी पार्टी में शामिल हो जाना। कारण कोई भी रहा हो लेकिन कहीं न कहीं इससे कार्यकर्ता जरूर हताश हुआ है।

वहीं, लाहुल-स्पीति के इतिहास में नजर दौड़ाएं तो कांग्रेस का गढ़ रहा है, तो वहीं भाजपा के प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हुई है। लाहुल-स्पीति जिला के आज तक के चुनावी सग्रांम पर ही नजर डालें तो अधिकतर यहां पर कांग्रेस के नेताओं का राज रहा है। अब यहां की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। रवि ठाकुर ने कांग्रेस का साथ छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया है। हालांकि अब कांग्रेस की साख को बचाने के लिए बगावत का दौर भी शुरू हो गया है। अब बगावत कितनी सफल हो सकती है, यह भविष्य के गर्भ में है। एचडीएम

ठाकुर देवी सिंह ने हासिल की थी जीत

वर्ष 1967 में ठाकुर देवी सिंह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे और जीतकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि इसके बाद वह जनता दल से भी चुनाव जीते। लाहुल-स्पीति के विधानसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो 1967 से 2022 तक हुए विधानसभा चुनाव में अधिकतर कांग्रेस का कब्जा रहा है। 1967 में ठाकुर देवी सिंह स्वतंत्र लड़े थे और विधायक बने थे। वहीं, 1972 में स्व. लता ठाकुर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विधायक बनीं। वहीं, 1977,1982 और 1985 में ठाकुर देवी सिंह जनता पार्टी से विधायक बने। वहीं, 1990 और 1993 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी फुंचोग राय विधायक बने। वहीं, 1998 में डा. रामलाल मारकंडा हिमाचल विकास कांग्रेस के प्रत्याशी थे और इन्होंने जीत दर्ज की। 2003 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी रघुवीर सिंह जीते। 2007 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डा. रामलाल मारकंडा विधायक बने। 2012 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी रवि ठाकुर विधायक बने। वहीं, 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डा. रामलाल मारकंडा विधायक बने। वहीं, 2022 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर विधायक बने और एक साल दो-तीन महीने ही विधायक रहे और विधानसभा से सदस्यता रद्द होने पर अब यह भाजपा से जुड़ गए।