बगावत छोड़ पार्टी संग चले पूर्व विधायक राजेश ठाकुर, कहा-टिकटें तो बदलती रहती हैं, विरोध क्यों

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—शिमला

टिकटें बदलती रहती हैं, लेकिन टिकट बदल जाने के बाद बगावत करना उचित नहीं है। गगरेट के पूर्व विधायक राजेश ठाकुर का यह बयान खुद ही राजनीतिक गलियारों में मिसाल बन गया है। राजेश ठाकुर ने कहा कि यह राजनीति की कुर्सी किसी एक की नहीं है। इस कुर्सी पर राजनेता आते-जाते रहते हैं।

पूर्व विधायक राजेश ठाकुर का यह बयान राजनेता-वोटरों-समर्थकों के लिए प्रेरणादायक है, जिससे उनको प्रेरणा लेनी चाहिए। गगरेट से भाजपा द्वारा चैतन्य को टिकट दिए जाने का राजेश ठाकुर ने स्वागत किया है तथा कहा कि हर नेता के लिए पार्टी का निर्णय ही मान्य होना चाहिए। पूर्व विधायक ने बगावत न करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य कमल के फूल को जितवाना है, न कि पार्टी के खिलाफ बगावत करना है। उन्होंने राजनेता रमेश धवाला, रामलाल मार्कंडेय, वीरेंद्र कंवर का नाम लेते हुए नसीहत दी है कि आज अगर उनकी कोई पहचान है, तो वह पार्टी ने दिलवाई है।

पार्टी ने ही उनको मंत्री बनाया था। उन्होंने कहा कि टिकट कटने के बाद बुरा लगना स्वभाविक है, लेकिन यह दो-चार दिन तक हो होता है, न कि लंबे समय की कहानी। उन्होंने कहा कि मुझे भी कई फोन आ रहे हैं कि आप आजाद खड़े हो जाओ या फिर कांग्रेस से चुनाव लड़ लो, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा। पार्टी ने जिसे टिकट दिया है, उसके साथ चलूंगा तथा जीत भी दिलवाऊंगा। उन्होंने कहा हमें बगावत करने की बजाय पार्टी के साथ चलना है और पार्टी को जीत दिलवाने का प्रण लेना है।