Hrtc एमडी ने दिल्ली में जांची राजघाट पार्किंग, हर रोज 50 हजार रुपए की डेड माइलेज की होगी बचत

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला

एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने बुधवार को राजघाट पार्किंग का निरीक्षण किया। इस दौरान एचआरटीसी के एमडी ने डीटीसी की एमडी शिल्पा शिंदे के साथ बैठक भी की। डीटीसी ने एचआरटीसी के चालकों के लिए विश्राम गृह के निर्माण के लिए साइट सौंप दी है। डीटीसी ने राजघाट पार्किंग में प्रतिदिन 100 से 120 एचआरटीसी बसों के लिए पार्किंग की जगह देने पर भी सहमति जताई है। इससे प्रति बस 18 किलोमीटर डेड माइलेज की बचत होगी। रोजाना 50 हजार रुपए की डेड माइलेज की बचत होगी। अकेले डेड माइलेज पर सालाना दो करोड़ तक की बचत हो सकती है। पार्किंग की लागत भी बहुत कम होगी। एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि हिमाचल पथ परिवहन निगम एवं दिल्ली पथ परिवहन निगम के बीच बसों की पार्किंग के लिए 17 फरवरी को एमओयू किया था। इस समझौते के अनुसार हिमाचल पथ परिवहन निगम की दिल्ली जाने वाली बसें अब दिल्ली पथ परिवहन निगम के राजघाट डिपो में पार्क की जाएंगी।

हिमाचल पथ परिवहन निगम की लगभग 120 बसें रोजाना दिल्ली जाती है ये बसें पार्किंग के लिए दिल्ली बस अड्डे से लगभग 12 किलोमीटर दूर जगतपुर में चयनित दो निजी पार्किंग में खड़ी होती थी। इन पार्किंग का किराया लगभग साढ़े तीन लाख रुपए प्रतिमाह था एवं प्रत्येक बस को रोजाना 12 किलोमीटर की डेड माइलेज पड़ती थी। दिल्ली पथ परिवहन निगम से करार होने के बाद दिल्ली पथ परिवहन निगम को पार्किंग के लगभग छह लाख रुपए प्रतिमाह दिल्ली पथ परिवहन निगम को देने होंगे, लेकिन दिल्ली पथ परिवहन निगम का राजघाट डिपो बस अड्डे से केवल चार किलोमीटर की दूरी पर है, जिसके कारण प्रतिदिन लगभग सोलह किलोमीटर प्रति बस डेड माइलेज कम होगी। दिल्ली पथ परिवहन निगम से करार होने के बाद राजघाट पार्किंग में बसें खड़ी होने पर यह खर्चा किराया एवं डेड माइलेज का 12 लाख प्रतिमाह होगा, जिससे प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ रुपए की बचत होगी। इस समझौते में हिमाचल पथ परिवहन निगम दिल्ली पथ परिवहन निगम के डिपो में चालकों एवं परिचालकों के विश्राम के लिए कम लागत वाले आधुनिक विश्राम गृह बनाए जाएंगे। इसमें शौचालय एवं सोने के लिए बिस्तर एवं अन्य सुविधाएं रहेगी।