डिग्री वेरिफिकेशन का बदलेगा तरीका, फर्जी डिग्री-माक्र्सशीट के सामने आने पर आयोग का फैसला

स्टाफ रिपोर्टर-शिमला

हिमाचल में निजी विश्वविद्यालयों की डिग्रियों की वेरिफिकेशन का तरीका बदलेगा। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने इसके लिए मैकेनिज्म तैयार कर रहा है। इसमें क्यूआर कोड स्कैनिंग जैसी व्यवस्था तैयार की जाएगी, ताकि आसानी से फर्जी डिग्री और माक्र्सशीट न बनाई जा सके। सभी निजी विश्वविद्यालयों को साल में नियामक आयोग को छात्रों के दाखिले का रिकार्ड सौंपना होगा। हर साल यह रिकार्ड भी देना होगा कि कितने छात्र पासआउट हो गए हैं, जो छात्र पासआउट हुए हैं उन्होंने कब दाखिला लिया था। इसका रिकार्ड विवि के अलावा आयोग और शिक्षा विभाग के पास भी रहेगा।

वेरिफिकेशन के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। हिमाचल में चल रहे निजी विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्रियों के मामले सामने आने के बाद आयोग ने यह फैसला लिया है। इससे पहले सोलन जिला स्थित एक निजी विश्वविद्यालय में फर्जी माक्र्सशीट मिलने और फर्जी डिग्री बेचने के लिए वेबसाइट का मामला भी सामने आ चुका है। आयोग ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस से मांग की गई है कि इसकी जांच में तेजी लाई जाए ताकि दोषियों को पकड़ा जा सके। यूजीसी की ओर से भी फर्जी यूनिवर्सिटी की लिस्ट जारी की गई है ताकि छात्र इन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने से बच सके।

निजी विश्वविद्यालयों को हिदायत

नियामक आयोग ने प्रदेश में चल रहे सभी निजी विश्वविद्यालयों को भी हिदायत दी है। इसमें कहा गया है कि वह अपने स्तर पर भी निगरानी रखे कि कोई उनके नाम का इस्तेमाल फर्जी डिग्री बनाने के लिए तो नहीं कर रहे हैं। यदि कोई मामला सामने आता है तो तुरंत इसकी शिकायत पुलिस में करवाए। आयोग को भी इस बाबत सूचित करें ताकि छात्रों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।