केवल और केवल अनुराग

सियासत के अद्भुत प्रतीक और शिनाख्त के पद्चिन्हों में राजनीतिक सपूत चुनने की कवायद में आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि सामने आ रही है। पांचवीं बार हमीरपुर लोकसभा के अपने अभेद्य दुर्ग पर अनुराग ठाकुर को भाजपा, लोकसभा में मुकाम दिखा रही है। शिमला से सुरेश कश्यप पर भरोसा जताने के बावजूद मंडी का जौहर दिखाने में भाजपा की सियासी किफायत और कांगड़ा की दौड़ में हिम्मत दिखाने की कंजूसी अभी सूची से बाहर नहीं आई, लेकिन पार्टी का जलबा इस बार हमीरपुर संसदीय सीट के सामने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के प्रभुत्व की मांद में जरूर नई कहानी लिखना चाहेगा। प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत के दो शंखनाद हुए थे, तो मंडी में भाजपा का वर्चस्व लोकसभा चुनाव की तासीर में पूर्व सरकार की छवि की पहरेदारी में क्या नया हासिल करता है, यह देखना होगा। यहां पूर्व मुख्यमंत्री जयराम की छत्रछाया में कोई नया नाम, कोई नया दांव, अपनी परख के हथौड़े की तरह टन-टन कर रहा है, तो कांगड़ा में भाजपा की सूची उस शोहरत से मुकाबिल है जहां वर्तमान सांसद किशन कपूर ने सात लाख से अधिक वोट जुटा कर ऐतिहासिक काम किया था। लोकसभा चुनाव की पात्रता में विधानसभा चुनाव की दक्षता का ईनाम क्या होगा, इसका फैसला कांग्रेस को भी कांगड़ा में करना है। सुक्खू सरकार के गठन और सत्ता के संगठन में दस विधायकों की जुंबिश लगा कांगड़ा के जिस आधार ने भाजपा को निराधार किया था, उसके आश्रालय में संसदीय चुनाव की अनुगूंज चंबा तक आंखें खोल कर देख रही है। जिला से कुल दो मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, चंद कैबिनेट रैंक और कुछ नियुक्तियों की पैमाइश के बूते कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का शीर्षासन इसलिए भी देखा जाएगा, क्योंकि सुधीर शर्मा जैसे चेहरे को दरकिनार करके पार्टी अपने वजूद की नई पैरवी कर रही है।

यहां से सत्ता के पाले में जितने पद भरे हैं, उनमें से शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया का रुतबा अब हाथों में व्हिप लेकर अपनी मंजिलें बता रहा है। तमाम नियुक्तियों और तरह-तरह के पदभारों से सुसज्जित चेहरों के बीच केवल केवल सिंह पठानिया क्यों लोकसभा चुनाव से पूर्व अलग नजर आने लगे हैं, यह बदली कांगड़ा की सियासत में सरकार के खास नजर आने लगे हैं। केवल सिंह का गैर परिवारवाद तथा कभी कांगड़ा की ललकार रहे मेजर विजय सिंह मनकोटिया के व्यूह चक्र से निकल कर मुख्य सचेतक तक पहुंचना, वीरभद्र सिंह की आभा में चलती रही पार्टी की नई प्रतिभा है। कांग्रेस बदल रही है और बदल रहा है इसकी आभा का केंद्र। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस महज सत्ता नहीं सत्ता का नया पौधारोपण भी है। इस लिहाज से यह सरकार, सरकार के मुखिया तथा उपमुख्यमंत्री की सबसे बड़ी परीक्षा का द्वार भी है। सरकार इसी संसदीय सीट से पार्टी व दो सहयोगी निर्दलीयों समेत पांच विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा कर अपना रास्ता साफ करती हुई दिखाई दी है, लेकिन अपने कांटों के बाहर भाजपा के साम्राज्य की दीवारों पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के हस्ताक्षर स्पष्ट हैं।

हिमाचल के अभिप्राय में मोदी सरकार की उपलब्धियों का लेखा-जोखा अगर सामने आता रहा, तो प्रदेश का एकमात्र सांसद अनुराग ठाकुर ही क्रियाशील रहा। केंद्रीय संस्थानों की पैरवी में एम्स, आईआईएचएम, हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज, बल्क ड्रग पार्क, केंद्रीय विश्वविद्यालय का देहरा परिसर, पीजीआई का सेटेलाइट सेंटर, ट्रिपल आईआईटी व खेलो इंडिया का उत्कृष्ट केंद्र खोलने के कर्णधार रहे अनुराग ठाकुर हिमाचल में रेल विस्तार के हर आयाम पर एकमात्र आशा बनकर उभरे हैं। हिमाचल के खाते में चलती नई ट्रेनें अगर ऊना को डेस्टिनेशन बना रही हैं, तो इन हरी झंडियों का जवाब फिलहाल आसान नहीं है। लोकसभा चुनाव के खत में भाजपा के खिताब पा चुके अनुराग ठाकुर के इर्द-गिर्द एकत्रित युवा संभावनाएं उस परिदृश्य को देख रही हैं, जहां कांग्रेस ने इसी संसदीय क्षेत्र से दो अत्यंत क्षमतावान युवा चेहरों व पहली बार विधायक बने चैतन्य शर्मा और आशीष शर्मा की सदस्यता पर फांस लगाई है। लोकसभा चुनाव के पलड़े में मुख्यमंत्री का वजन पहली बार सामने आएगा, जबकि भाजपा के तीन दिग्गजों जगत प्रकाश नड्डा, जयराम व अनुराग ठाकुर का आधार नजर आएगा। निश्चित रूप से राजनीति की कई अनिश्चितताएं आगामी लोकसभा चुनाव के बीच ध्वस्त होंगी।