238 बार हार चुके पद्मराजन फिर मैदान में, लाखों रुपए गंवाए, पर नहीं मानी हार, इस नाम से भी मशहूर

दुनिया के सबसे बड़े इलेक्शन लूजर के नाम से मशहूर; लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज, लाखों रुपए गंवाए, पर हारी नहीं मानी

एजेंसियां — चेन्नई

देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। 19 अप्रैल से पहली जून के बीच सात चरणों में वोटिंग होगी। चार जून को नतीजे आएंगे। इस बीच एक ऐसा व्यक्ति तमिलनाडु में चुनाव लडऩे जा रहा है, जो अपनी जीत नहीं, बल्कि हार से पूरी दुनिया में मशहूर है। उसे इलेक्शन किंग के साथ वल्र्ड बिगेस्ट इलेक्शन लूजर की उपाधि मिली हुई है। इनका नाम है के. पद्मराजन। पद्मराजन देश में होने वाले सभी चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव, राहुल गांधी जैसे नेताओं के सामने उतर चुके हैं। के पद्मराजन इस समय 65 साल के हैं। वह टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं। उन्होंने 1988 में तमिलनाडु के अपने गृहनगर मेट्टूर से चुनाव लडऩा शुरू किया था। तब से अब तक 238 बार असफल होने के बावजूद पद्मराजन बेफिक्र हैं। वह एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। के पद्मराजन तमिलनाडु के धर्मपुरी जिला की एक संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इलेक्शन किंग के नाम से मशहूर पद्मराजन ने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनावों तक देश भर में चुनाव लड़ा है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह और राहुल गांधी से चुनाव हार चुके हैं। पद्मराजन ने कहा कि सामने उम्मीदवार कौन है? मुझे परवाह नहीं है।

मुझे चिंता अपनी हार का सिलसिला आगे बढ़ाने की है। यह इतना आसान भी नहीं है। उनका अनुमान है कि उन्होंने नामांकन के नाम पर तीन दशकों से अधिक समय में एक करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए हैं। अकसर उनकी जमानत जब्त होती है, इसलिए सिक्योरिटी धनराशि भी वापस नहीं होती है। पद्मराजन ने भले ही कोई चुनाव न जीता हो, लेकिन उनकी एक बड़ी जीत लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स नाम कराने की रही है। उन्होंने भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में जगह बनाई है। पद्मराजन ने अपने चुनावी करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2011 में किया था। वह मेट्टूर में विधानसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे। उन्हें 6,273 वोट मिले, जबकि विजेता को 75,000 से अधिक वोट मिले। उन्होंने कहा कि मुझे एक वोट की भी उम्मीद नहीं थी, लेकिन इससे पता चला कि लोग मुझे स्वीकार कर रहे हैं। अपनी टायर मरम्मत की दुकान के अलावा पद्मराजन होम्योपैथिक इलाज भी करते हैं। साथ ही स्थानीय मीडिया के लिए एक संपादक के रूप में काम करते हैं।

पहली बार लड़ा चुनाव, तो लोगों ने मजाक उड़ाया

कंधे पर चमकदार शॉल और ताव देने वाली मूंछों वाले पद्मराजन कहते हैं कि जब उन्होंने पहली बार चुनाव लडऩे के लिए नामांकन कराया था, तो लोग हंसे, लेकिन उन्होंने कहा कि वह यह साबित करना चाहते थे कि एक सामान्य आदमी भी चुनाव लड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं, लेकिन मुझे इसकी तमन्ना नहीं है। जब हार होती है तो मुझे खुशी होती है।