पढ़ाई-लिखाई से अनजान लोग पाएंगे अक्षर ज्ञान, एससीईआरटी ने तैयार किए मास्टर ट्रेनर

प्रदेश के 90 हजार असाक्षर लोगों को साक्षर बनाने के लिए एससीईआरटी ने तैयार किए मास्टर टे्रनर

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

प्रदेश में ऐसे व्यस्क नागरिक, जो किन्हीं कारणों से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए हैं, उन्हें अब असाक्षर से साक्षर बनाया जाएगा। दरअसल एसीईआरटी सोलन ने केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद पूरे प्रदेश में असाक्षर लोगों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है। इसमें 15 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों को पढ़ाया जाएगा, जिसमें उन्हें न केवल बेसिक एजुकेशन दी जाएगी, बल्कि अक्षर ज्ञान के साथ उन्हें विभिन्न तरह के स्किल कोर्स भी पढ़ाए जाएंगे। हिमाचल के बिलासपुर जिला से इसकी शुरुआत कर दी गई है और अब प्रदेश के अन्य जिलों में यह शुरू किया जाएगा। एससीईआरटी के मुताबिक पूरे प्रदेश में ऐसे 90 हजार व्यस्क हैं, जिन्हें साक्षर बनाया जाना है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने ये आंकड़ें जुटाए हैं।

इसमें मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं, जो 11 मॉडयूल पर पढ़ाई पूरी करवाएंगे। खास बात यह० है कि इसमें ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं, जो पढ़ाई करने के इच्छुक है। इस कार्यक्रम में अशिक्षित व्यक्तियों को बुनियादी साक्षरता एवं अंक ज्ञान प्रदान करने के साथ उन्हें जीवन में आने वाले कुशलता के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, चुनावी साक्षरता, कौशल विकास, बुनियादी शिक्षा, सतत शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य में स्वच्छता पर विशेष रुप से जागरूक करने का कार्य भी किया जाएगा।

2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य

केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद प्रदेश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने के लिए यह अभियान छेड़ा गया है। इसमें अब सिर्फ शब्द और संख्या ज्ञान तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इनमें निरक्षर लोगों को वह सारी शिक्षा भी दी जाएगी, जिससे उनके जीवन में एक नया उल्लास दिख सके। वह उस ज्ञान से अपनी जरूरत के सारे काम निपटा सकेंगें। इनमें बैंकों से जुड़े लेन-देन, साइबर सुरक्षा, मतदान, सेहत और रेल यात्रा आदि से जुड़ी सीख भी दी जाएगी। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर उल्लास ( अंडरस्टैंडिंग लाइफ लॉग लर्निंग फॉर आल इन सोसायटी) नाम से एक नया अभियान शुरू किया है। जिसमें 2030 तक देश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है।