छह महीने की प्रोग्रेस रिपोर्ट दें पीएचडी अभ्यर्थी, एचपीयू प्रशासन ने छात्रों को दिया इतना समय

एचपीयू प्रशासन ने छात्रों को दिया छह अप्रैल तक का समय, अगले सत्र से नहीं होगी एमफिल

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले छात्रों को छह महीने की प्रोगेस रिपोर्ट सबमिट करवानी होगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सभी छात्रों को छह अप्रैल तक का समय दिया है। रिपोर्ट में बताना होगा कि एमफिल डिग्री के तहत कौन से छात्र हैं, जिनकी पीएचडी कंटीन्यू है। अगले सत्र से एमफिल की डिग्री में अब कोई एडमिशन नहीं होगी और पूरानी ही कंटीन्यू होगी। गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी की ओर से एमफिल करवाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यूजीसी की ओर से दिशा-निर्देश के बाद विवि ने सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटियों को भी इस संबंध में अवगत करवाया है। यूजीसी ने अपने आदेश में कहा है कि एमफिल एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है।

बता दें कि एमफिल यानी मास्टर ऑफ फिलासफी दो साल का पोस्ट ग्रेजुएट एकेडमिक रिसर्च प्रोग्राम है, जो पीएचडी के लिए प्रोविजनल इनरोलमेंट की तरह भी काम करता है। हालांकि, अब यूजीसी ने इस डिग्री की मान्यता खत्म करते हुए इसे बंद कर दिया है। एचपीयू के वीसी प्रो. एसपी बंसल का कहना है कि यूजीसी के दिशा-निर्देश के मुताबिक अब एमफिल नहीं होगी। हमने पहले ही इसे बंद कर दिया है। एचपीयू की बात करें, तो यहां पर 500 से अधिक रिसर्च स्कॉलर एनरोल हुए हैं। हर विभाग में एक गाइड के अंडर करीब आठ स्टूडेंट पीएचडी करते हैं। कई नौकरीपेशा भी पीएचडी करने के लिए विवि आते हैं। ऐसे में उन्हें इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। अब समय अधिक मिलने से हिमाचल के पीएचडी करने वाले रिसर्च स्कॉलर को भी फायदा होगा।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत दिया गया था प्रोपोजल

एमफिल की डिग्री आट्र्स एंड ह्यूमैनिटीज, साइंस, मैनेजमेंट, साइकोलॉजी और कॉमर्स आदि में ली जाती है। यूजीसी ने इस बाबत बने रेग्युलेशन का जिक्र करते हुए कहा है कि ये डिग्री अमान्य है। इस डिग्री को डिस्कंटीन्यू करने की सिफारिश न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 में की गई थी। इस साल से इसे अमान्य घोषित कर दिया गया है। इसीलिए यूजीसी ने यूनिवर्सिटियों, कॉलेज और छात्रों से आग्रह किया है कि इस डिग्री कोर्स में एडमिशन न लें।

अब पीएचडी को एंट्रेस और डायरेक्ट एडमिशन

एमफिल में प्रवेश बंद होने से अब पीएचडी में एंट्रेस और डायरेक्ट एडमिशन होगी। पीजी के अलावा इसके लिए नेट-सेट की डिग्री होना जरूरी है। एचपी यूनिवर्सिटी से अब पीएचडी पांच नहीं, बल्कि छह वर्ष में पूरी कर सकेंगे। पीएचडी पूरी करने का एक साल का अतिरिक्त समय यूजीसी की ओर से दिया गया है। एचपीयू को निर्देश मिले हैं कि जिन भी गाइड के अधीन छात्र पीएचडी कर रहे हैं, उन्हें बताया जाए वे पांच नहीं, बल्कि छह वर्ष में रिसर्च वर्क पूरे कर सकते हैं।