सडक़ों से सडक़ों का मिलन

हिमाचल में सडक़ों की परिभाषा को सुदृढ़ता का पैगाम देते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक लाख करोड़ का खाका पेश किया है। यह दूसरी बार है कि गडकरी हमीरपुर आ कर सडक़ परियोजनाओं की महत्त्वाकांक्षा में हिमाचल को वरदान दे रहे हैं। इससे पूर्व पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने राष्ट्रीय उच्च मार्गों के साथ-साथ फोरलेन परियोजनाओं का हवाला दिया था। करीब चार हजार करोड़ की अधोसंरचना निर्माण की जमीन पर उद्घाटन व शिलान्यासों की श्रृंखला बना कर गडकरी एक साथ कई पैगाम व प्रतिबद्धता का सबूत देने से नहीं चूकते। हिमाचल की दृष्टि से सडक़ परिवहन की अनिवार्यता को इन परियोजनाओं के माध्यम से केंद्र संबोधित कर रहा है, तो इसके कई राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। खास तौर पर इस उपलब्धि के केंद्र में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का रुतबा परवान चढ़ता है।

यह इसलिए भी कि सारी परियोजनाओं में ऐसा हिमाचल आपस में जुड़ रहा है, जहां अनुराग ठाकुर की प्राथमिकताएं सामने आ रही हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में शिमला-मटौर के बीच आधी-अधूरी फोरलेन को अब पूरी तरह इसी मापदंड में बनाया जाएगा, तो नादौन से अंब तक भी फोरलेन का मिलन सुनिश्चित हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही अंब-अंदौरा तक पहुंची रेलवे ट्रैक का नादौन से जोडऩे का अनुमानित बजट व लक्ष्य फिर से नजर आया है। ऊना ट्रेन से नित नई झंडियां दिखाते अनुराग ठाकुर अपना महत्त्व और हिमाचल के राजनीतिक परिदृश्य में अपना भविष्य दिखा रहे हैं। दरअसल कनेक्टिविटी के लिहाज से ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर जिला इस समय हिमाचल को अग्रणी बना रहे हैं। भानुपल्ली से बिलासपुर निकल रही रेलवे लाइन अपनी रूपरेखा को यथार्थ की जमीन पर अंकित कर रही है, तो ऊना से अंब-अंदौरा पहुंचे ट्रैक को हमीरपुर की तरफ मोडऩे का संकल्प मजबूत होता दिखाई दे रहा है।

ये सारी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाएं हिमाचल के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र को केंद्रीय सूची में सबसे ऊपर रख रही हैं। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय संस्थानों की पैरवी में एम्स, एनआईटी, ट्रिपल आईटी, खेलो इंडिया एक्सीलेंस सेंटर, पीजीआई सेटेलाइट सेंटर के अलावा अब पूरा का पूरा केंद्रीय विश्वविद्यालय भी देहरा के प्रांगण में स्थापित हो रहा है, तो इसका श्रेय केवल एक ही सांसद को जाता है। इसके मुकाबले अन्य संसदीय क्षेत्र अपने सांसदों की वजह से बौने नजर आते हैं। इतना ही नहीं हिमाचल के विधायकों की वजह से कई जिला पिछड़ रहे हैं। खास तौर पर कांगड़ा भले ही सत्ता सौंपने की भूमिका में अग्रणी रहे, लेकिन विधायकों के कारण एकदम फिसड्डी साबित हो रहा है।

प्रदेश तीसरी बार हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री चुन रहा है तो इसलिए कि वहां केंद्र और प्रादेशिक नेतृत्व में नेताओं की श्रेष्ठता का कुछ तो आलाकमान पर असर है। बहरहाल हमीरपुर जैसे शहर में अब दूसरे बाईपास के लिए मुहैया हो रहे 740 करोड़ के रास्ते शिमला से धर्मशाला का सफर मीलों कम हो जाएगा। इसी तरह बिजली महादेव तक यात्री अगर सात से दस मिनट में पहुंच पाएंगे, तो 283 करोड़ की परियोजना का शिलान्यास रज्जु मार्गों के विकल्प को आसान बना रहा है। समृद्ध व आत्मनिर्भर हिमाचल की दृष्टि से सडक़ मार्गों का सशक्तिकरण निश्चित रूप से हमें विकास के असली मायने समझा रहा है। देवी दर्शन तथा पर्यटन के लिए अगर वाकई एक लाख करोड़ की अधोसंरचना परियोजनाएं चहलकदमी कर रही हैं, तो इसके नतीजे में विकास का भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल होगा। हिमाचल को सडक़ों के साथ- साथ रज्जु मार्गों तथा परिवहन के अन्य विकल्पों की ओर भी आगे बढऩा होगा।