शक्तिपीठ कालिकन धाम

अमेठी में स्थित शक्तिपीठ कालिकन धाम की महिमा अपार है। यह धरती च्यवन मुनि की तपोभूमि कही जाती है। मंदिर में अन्य छोटे-छोटे देवालय भी स्थापित हैं। यहां पर एक प्राचीन अमृत कुंड भी है। मान्यता है कि अमृत कुंड में स्नान से कष्टों के साथ ही आंखों की बीमारी दूर होती है। अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक में स्थित शक्तिपीठ मां कालिकन धाम की महिमा अपार है। मां कालिकन धाम की दिव्य मूर्ति भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है और यहां पर आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। यहां पर च्यवन मुनि ने तपस्या की थी। यह काफी दिव्य और पौराणिक स्थल है। जिसके बारे में इतिहास में भी दर्ज है। यह दिव्य कुंड कालिकन धाम मंदिर परिसर में मौजूद है। मान्यता है कि इसके जल से आंखों की बीमारी दूर होती है और मां कालिकन धाम की महिमा इतनी ज्यादा अपार है कि आप अगर बड़ी समस्या से परेशान हैं, तो यहां दर्शन मात्र से सारी समस्याएं मां कालिका पल भर में दूर कर देती हैं।

अमेठी का शक्तिपीठ कालिकन धाम अमेठी जनपद मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर महर्षि च्यवन मुनि की तपोस्थली है। मान्यता है कि इस मंदिर में च्यवन मुनि तपस्या में इतने लीन हो गए कि उनके शरीर पर दीमकों ने अपना कब्जा कर लिया, जब अयोध्या की राजकुमारी ने दीमकों को साफ करने का प्रयास किया, तो महर्षि की आंख फूट गई। इसके बाद ऋषि ने राजकुमारी को श्राप दे दिया। पश्चाताप स्वरूप महर्षि च्यवन मुनि की सेवा करने के लिए उन्हें यही बस जाना पड़ा। महर्षि की आंख को ठीक करने के लिए देवताओं ने अश्विन कुमार को यहां बुलाया, जिन्होंने यहां पर एक कुंड की स्थापना की। जिसमें स्नान करने के बाद महर्षि की आंख ठीक हो गई और वह फिर से युवा बन गए। इसके बाद सभी लोग युवा बनने के लिए इस कुंड में स्नान करने की कोशिश करने लगे। इसको रोकने के लिए ब्रह्मा जी ने कुंड को बचाने के लिए देवी का आवाहन किया और कुंड की रक्षा के लिए निवेदन किया। तबसे देवी मां आदि शक्ति यहां आकर विराजमान हो गर्इं और सभी भक्तों की मनोकामनाएं मां के दरबार में आकर दर्शन मात्र से ही पूरी होने लगी। तब से मान्यता है कि यहां के जल से आंखों की बीमारियां दूर होती हैं और पूजा पाठ में भी यहां का जल भक्त इस्तेमाल करते हैं। प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार के अलावा नवरात्रों में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। इसके अलावा घी के दीपक जलाने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में छोटे-छोटे देवालय भी स्थित हैं।