सरेंडर करो मेडिकल री-इम्बर्समेंट-टीए का पैसा; सरकार के विभागों को निर्देश, 20 तक डेडलाइन

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला

राज्य सरकार के वित्त विभाग की ओर से सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके यहां मेडिकल री-इम्बर्समेंट, टीए, ऑफिस एक्सपेंडिचर इत्यादि मदों में दिया गया पैसा लैप्स नहीं होना चाहिए। वित्त विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इस तरह की लापरवाही पहले भी सामने आई है। दिया गया पैसा खर्च न होने के कारण संबंधित लाभार्थी भी इस लाभ से वंचित रहते हैं। इसलिए यदि किसी विभाग में रिपेयर, मेडिकल रीइम्बर्समेंट, सैलरी, टीए, रेंट या टीटीए इत्यादि में मिला पैसा खर्च नहीं हो रहा है, तो इसे 20 मार्च तक सरेंडर कर दिया जाए, ताकि किसी अन्य विभाग को जरूरी इस्तेमाल के लिए इसे दिया जा सके और यह पैसा लैप्स न हो। यदि इस लापरवाही की वजह से किसी विभाग में पैसा लैप्स हुआ तो संबंधित डीडीओ की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी फिक्स होगी।

वित्त विभाग से यह निर्देश मिलने के बाद उच्च शिक्षा निदेशक ने अपने विभाग में सबको अलर्ट लैटर जारी किया है। दूसरी तरफ, एनपीएस से ओल्ड पेंशन में आए कर्मचारियों को वापस आया पैसा सरकारी खाते में जमा करवाने की प्रक्रिया में गलत एंट्री हो रही है। प्रधान सचिव वित्त ने सभी प्रशासनिक सचिवों और विभाग अध्यक्षों को इस बारे में अलर्ट किया है। उन्होंने कहा है कि 26 जुलाई 2023 को जारी निर्देशों के अनुसार जिस सिर में एनपीएस कर्मचारी की कंट्रीब्यूशन का पैसा और उसे पर कमाया गया डिविडेंड जमा होना है, वहां कुल एक्सपेंडिचर में कटौती नहीं की जा रही है, जिसके कारण राज्य सरकार की प्राप्तियों में वह राशि अतिरिक्त तौर पर ऐड हो रही है।

15,000 से ज्यादा पगार वाला मुलाजिम नहीं चाहिए

शिमला — हिमाचल में सहकारी समितियां अब अपने स्तर पर 15000 रुपए से ज्यादा वेतन वाला कर्मचारी नहीं रख पाएंगी। यह फैसला लेने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश को-ऑपरेटिव सोसायटीज अमेंडमेंट रूल्स 2024 की फाइनल नोटिफिकेशन जारी कर दी है। इससे पहले 29 दिसंबर, 2023 को इन नियमों का ड्राफ्ट जारी किया गया था, जिस पर लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे गए थे। सभी सहकारी समितियां को अपने यहां को-ऑपरेटिव एजुकेशन फंड बनाना होगा। इस फंड को नेट प्रॉफिट के एक फ़ीसदी से शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा पांच लाख रुपए होगी। इस फंड में एकत्र हुए धन के लिए स्टेट को-ऑपरेटिव डिवेलपमेंट फेडरेशन का गठन होगा और इस पैसे के खर्च के लिए रजिस्टार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज की अनुमति जरूरी होगी। सहकारी समितियों का ऑडिट करने के लिए फर्म से चार्टर्ड अकाउंटेंट लेना पड़ेगा। फाइनल ड्राफ्ट की अधिसूचना सहकारिता विभाग के सचिव सी पालरासू की ओर से जारी की गई है।