आजीविका का प्रश्न घोषणापत्रों में शामिल हो…

जल्द ही लोकसभा चुनावों की घोषणा होने वाली है। चुनावों के लिए सभी पार्टियां घोषणापत्र भी जारी करेंगी। यह दुख का विषय है कि सभी दल मुफ्त की रेवडियां तो बांट रहे हैं, लेकिन युवाओं के लिए स्थायी रोजगार का वादा कोई भी दल नहीं करता है। आजीविका का यह प्रश्न घोषणापत्रों में शामिल होना चाहिए।

आने वाली सरकार को युवाओं को रोजगार देना चाहिए, चाहे वह सरकारी क्षेत्र में हो या प्राइवेट सेक्टर में। इसके बदले बेरोजगारी भत्ते की खैरात बांटना उचित नहीं है। अभी तक आजीविका का प्रश्न राज्यनीति के निर्देशक सिद्धांतों में शामिल है, लेकिन उसे मौलिक अधिकार आज तक नहीं बनाया गया। अब इसे मौलिक अधिकार बनाना चाहिए।

-श्रेया शर्मा, कांगड़ा