जयदीप रिहान-पालमपुर
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का मतदाता अधिकतर उसी पार्टी के उम्मीदवार का साथ देता आया है जिसकी प्रदेश में सरकार होती है। पंजाब से अलग होने के बाद कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के लिए मतदाता अब तक 12वीं बार लोकसभा के लिए मतदान कर चुके हैं व केवल दो बार प्रदेश में सत्तासीन सरकार के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। एचडीएम
किशन कपूर ने तोड़ा था रिकार्ड
कांग्रेस के उम्मीदवार 1980, 1984, 1996 और 2004 में यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं तो 1989, 1991, 1998, 1999, 2009 2014 और 2019 में जीत भाजपा उम्मीदवार के नाम रही थी। शांता कुमार अब तक चार बार कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने का गौरव हासिल कर चुके हैं जबकि उनके अलावा कोई भी उम्मीदवार एक बार से अधिक जीत दर्ज नहीं कर पाया है। वहीं 1.72 लाख के अंतर से सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड भी शांता कुमार के ही नाम 2014 के चुनाव में दर्ज हुआ था, जिसे बीते चुनावों में किशन कपूर ने तोड़ा था। 1977 में लोकदल के टिकट पर दुर्गाचंद ने चुनाव जीता था और यही एकमात्र ऐसा अवसर रहा है जब कांगड़ा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी अन्य दल का उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाया।
भाजपा छह, कांग्रेस चार बार पहुंची संसद
अब तक के लोकसभा चुनावों में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा छह व कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की है। वहीं एक बार लोगों ने लोकदल के उम्मीदवार को संसद में पहुंचाया था।
मतदाताओं की बदलती है पसंद
अब तक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाता ने शांता कुमार के सिवाय किसी दूसरे उम्मीदवार को लगातार दो बार जीतने का अवसर प्रदान न कर यह इशारा किया है कि मतदाताओं की पसंद लगातार बदलती रहती है।
शांता के नाम रिकार्ड
कांगड़ा सीट से चार बार सांसद बनने का रिकार्ड भी भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार के ही नाम है। अब तक हुए 12 चुनावों में केवल दो बार ऐसा हुआ है कि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने सत्ता में बैठी सरकार के उम्मीदवार के खिलाफ मतदान किया हो। यह रिकार्ड भी शांता कुमार के ही नाम है।
भाजपा ने बदला उम्मीदवार
भाजपा ने इस बार कांगड़ा से अपना उम्मीदवार बदला है। सिटिंग एमपी किशन कपूर के स्थान पर इस बार राजीव भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारा गया है। वहीं अन्य किसी दल ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।