बॉम्बे HC का फैसला, रिसेप्शन विवाह का हिस्सा नहीं

तलाक विवाद से जुड़े मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला

एजेंसियां — मुंबई

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को तलाक विवाद से जुड़े एक मामले में बेहद अहम फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि शादी के रिसेप्शन को विवाह का हिस्सा नहीं माना जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विवाह के बाद किसी दूसरे स्थान पर दंपति का रिसेप्शन संबंधित पारिवारिक न्यायालय को पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवादों को तय करने का अधिकार क्षेत्र नहीं प्रदान कर सकता है। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की एकल न्यायाधीश पीठ ने एक 38 वर्षीय महिला की याचिका पर कहा कि मेरे विचार में, इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि शादी का रिसेप्शन शादी की रस्म का हिस्सा नहीं हो सकता। कोर्ट ने बांद्रा की पारिवारिक अदालत द्वारा महिला के खिलाफ पारित आदेश को रद्द कर दिया।

इस दंपति ने जून, 2015 में राजस्थान के जोधपुर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी की थी। उनकी शादी के चार दिन बाद मुंबई में वेडिंग रिसेप्शन हुआ। रिसेप्शन के बाद, दंपति मुंबई शहर में पति के माता-पिता के घर पर लगभग दस दिनों तक रहे और उसके बाद अमरीका चले गए, जहां दोनों काम कर रहे हैं। वे शादी के बाद लगभग चार साल तक साथ रहे और अक्तूबर, 2019 से अलग रहना शुरू कर दिया। अगस्त, 2020 में, पति ने क्रूरता के आधार पर बांद्रा की पारिवारिक अदालत में तलाक की याचिका दायर की। वहीं चार महीने बाद, पत्नी ने अमरीका में अपनी तलाक की कार्यवाही शुरू की। अगस्त, 2021 में, पत्नी ने बांद्रा में पारिवारिक अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की। इसमें अपने अलग हो रहे पति की तलाक याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाया और इसे खारिज करने की मांग की। पत्नी ने यह दावा किया कि अदालत के पास हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 19 के मद्देनजर तलाक याचिका पर फैसला करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।