दिल्ली में फंसी कांग्रेस की डोर, भाजपा जनता की ओर

कांगड़ा संसदीय सीट, धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के लिए चेहरा साफ नहीं

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — धर्मशाला

लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों के लिए भाजपा ने प्रत्याशी तय कर जनता में जाना शुरू कर दिया है, लेकिन प्रदेश की सत्तासीन कांग्रेस की डोर अभी दिल्ली मेंं फंसी हुई है। कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र की बात हो या धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र की, भाजपा के प्रत्याशी नुक्कड़़ जनसभा कर रहे हंै, लेकिन कांग्रेस के नेता अपने प्रत्याशी का नाम फाइनल न होने से असमंजस में हैं कि वे किसके लिए लोगों से वोट मांगें। इस सारे सियासी माहौल में जनता का जोश भी धीमा पडऩे लगा है।

हालांकि टिकट की रेस में कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी अपने अपने स्तर पर प्रचार में जुटे हैं, लेकिन जब तक कैंडीडेट फाइनल नहीं होता, तब तक चुनावी कैंपेन को गति देना थोड़ा मुश्किल है। कांग्रेस पदाधिकारी बैठकें कर आगामी रणनीति पर जरूर काम कर रहे हैं, लेकिन तस्वीर साफ न होने से सभी उलझन में हैं। पार्टी द्वारा लगाए गए प्रभारी भी प्रत्याशी का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशियोंं की बात करें तो, लोकसभा प्रत्याशी डा. राजीव भारद्वाज और सुधीर शर्मा काफी एक्टिव हो गए हैं और आए दिन दोनों नेता लोगों से मिलकर समर्थन जुटा रहे हैं।

जातीय समीकरणों की उलझन

धर्मशाला में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस का प्रत्याशी फाइनल न होने की वजह यह भी है यहां पर जातीय समीकरणों को जोडऩे में पार्टी उलझ गई है। फिलहाल किसी भी समुदाय से बड़ा चेहरा नहीं दिख रहा है, जो भाजपा पर भारी पड़ सके। प्रत्याशी चयन में पार्टी के सामने कैडर को मजबूती से खड़ा रखना भी बड़ी चुनौती है। अब तक कांग्रेस में स्थानीय कार्यकर्ताओं के बजाय बाहर से आने वाले नेताओं को ही तवज्जो मिलती रही है। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में देवेंद्र जग्गी व विजय इंद्र कर्ण के नाम कैडर बेस्ड हैं, लेकिन अब राकेश चौधरी का नाम भी चर्चा में आ गया है। अब देखना यह है कि कांग्रेस किसे मैदान में उतारती है।