‘बिकाऊ बनाम टिकाऊ’ पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

ओकओवर में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 25 मंत्री-विधायकों के साथ बनाया लोकसभा चुनाव का प्लान

राजेश मंढोत्रा-शमला

कांग्रेस लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा का उपचुनाव बिकाऊ बनाम टिकाऊ के नारे पर लड़ेगी। लोगों के बीच यह तस्वीर पेश की जाएगी कि जो बिकाऊ थे, वे चले गए और जो लाए गए हैं वो टिकाऊ हैं। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री निवास ओक ओवर में हुई कांग्रेस विधायक को मंत्रियों की बैठक में यह रणनीति बनी है। इस बैठक में करीब 25 विधायक शामिल थे। कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी बैठक में थी और इसके बाद ही कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता हुई। इस बैठक में यह नेरेटिव बनाने पर सहमति बनी कि लोगों को बताया जाए कि सरकार अल्पमत नहीं, बल्कि बहुमत में है। मंडी और शिमला संसदीय सीटों से दो विधायकों को भी इसीलिए प्रत्याशी बनाया है, ताकि सरकार खुद को कॉन्फिडेंट पेश कर सके। भाजपा के इस प्रचार को काउंटर करने की जरूरत है। यह भी कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक जनता को समझाएंगे कि उनकी सरकार ने वादा खिलाफी नहीं की, बल्कि वादे निभाए हैं। इस बैठक में विधानसभा के भीतर संख्या बल को लेकर भी चर्चा हुई है।

मंडी संसदीय सीट से विक्रमादित्य और शिमला से विनोद सुल्तानपुरी चुनाव जीत जाते हैं, तो कांग्रेस विधायकों की संख्या 34 से घटकर 32 हो जाएगी। ऐसे में उपचुनाव की छह विधानसभा सीटों में से कम से कम दो जितना जरूरी होगा। यदि तीन निर्दलीयों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है और कांग्रेस के दो विधायक दिल्ली चले जाते हैं, तो सदन की संख्या 57 हो जाएगी, जिसमें बहुमत के लिए सिर्फ 29 विधायकों की जरूरत है। संसदीय सीटों में प्रभारी लगाए गए मंत्रियों के ऊपर यह जिम्मेदारी होगी कि वह चुनाव की दिशा को राज्य के मुद्दों तक सीमित रखें। चुनाव प्रचार के दौरान व्यक्तिगत टिप्पणियों से बचें। -एचडीएम

अफसरों से नाराज विधायकों ने उगला गुस्सा

लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव की रणनीति को लेकर हुई इस बैठक में कांग्रेस के कई विधायकों ने अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा भी जताया। विधायकों का आरोप था कि सचिवालय से लेकर जिलों तक अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। कुछ जिलों में डीसी और एसपी वांछित सहयोग नहीं कर रहे। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सचिवालय से ही सबको निर्देश दे दिए गए हैं। न कोई फीडबैक है और न ही वंचित रिकार्ड मिल रहा है। डीसी से नीचे के विभागीय अफसर भी यही रुख अपनाए हुए हैं। ऐसा लग रहा है जैसे कार्यकाल पूरा कर रही सरकार में चुनाव हो रहा है। विधायकों ने ये सुझाव भी दिए कि चुनाव निकालने के बाद किस तरह के बदलाव जरूरी हैं।