यहां जीत के बाद भी बढ़ेगी कांग्रेस की टेंशन

राकेश शर्मा—शिमला

लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर कांग्रेस विधायकोंं को उतारने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है। दो विधायकों को मैदान में उतारने से लोकसभा के साथ ही विधानसभा की सीटों का भी दांव खेल दिया है। प्रदेश में बहुमत के लिए जरूरी 35 के आंकड़े से कांग्रेस एक सीट कम है। छह सीटों पर उपचुनाव लोकसभा के साथ ही हो रहे हैं, जबकि निर्दलीयों के कब्जे वाली तीन अन्य सीटों पर फैसला किसी भी समय हो सकता है। ऐसे में अगर दोनों सीटों पर विधायक लोकसभा का चुनाव जीत जाते हैं, तो प्रदेश में विधानसभा के दो और उपचुनाव की नौबत आएगी। इसके साथ ही बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस की तीन सीटें कम हो जाएंगी। फिलहाल रणनीतिकार अब लोकसभा के टिकट तय होने के बाद दोनों विधानसभा क्षेत्रों में जोड़ जमा की स्थिति में जुट गए हैं।

पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से विधायक हैं। शिमला ग्रामीण के गठन के बाद अब तक तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और यह तीनों ही कांग्रेस के खाते में आए हैं। यहां जीत की शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की थी। 2012 में 20 हजार वोटों की बढ़ के साथ वीरभद्र सिंह शिमला ग्रामीण से चुनाव जीतकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 2017 में उन्होंने इस सीट को अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए खाली किया था और खुद चुनाव लडऩे अर्की चले गए थे। विक्रमादित्य सिंह का मुकाबला यहां बेहद करीबी रहा था। विक्रमादित्य सिंह 4880 वोटों से चुनाव जीत पाए थे। इस चुनाव में उनके सामने भाजपा ने डा. प्रमोद शर्मा को उतारा था। इसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव में विक्रमादित्य सिंह ने इस सीट को 13 हजार 860 वोट के अंतर से जीता है।

शिमला ग्रामीण विधानसभा में भाजपा बीते लंबे समय से काम कर रही है। 20 हजार वोटों का जो रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बनाया था। बीते दो विधानसभा चुनाव में विक्रमादित्य सिंह इस रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर पाए हैं। अब विक्रमादित्य सिंह मंडी से सांसद चुने जाते हैं तो उनकी जगह कौन लेगा यह भी बड़ा सवाल शिमला ग्रामीण में बन रहा है। इसके जवाब में पहला नाम कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह का ही है। होलीलाज की परंपरागत सीट पर प्रतिभा सिंह चुनाव में उतर सकती हैं। खास बात यह है कि प्रतिभा सिंह का कार्यकाल 2025 में खत्म हो जाएगा। ऐसे में कांग्रेस को नए प्रदेशाध्यक्ष की तलाश होगी, इस समय में प्रतिभा सिंह विधानसभा का चुनाव लड़ती हैं तो उनका प्रदेश सरकार में शामिल होने का रास्ता बहाल हो जाएगा। इस सीट पर प्रतिभा सिंह इकलौता नाम नहीं है। यहां से राज्य सहकारी बैंक के निदेशक हरिकृष्ण हिमराल भी टिकट के दावेदार हैं। उन्होंने बीते विधानसभा चुनाव में भी टिकट के लिए आवेदन किया था। लेकिन विक्रमादित्य सिंह के रहते उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था।

विनोद के बाद कमल सुल्तानपुरी
कांग्रेस ने कसौली विधानसभा से विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस इन यहां बड़ा दांव खेल दिया है। विनोद सुल्तानपुरी ने यहां भाजपा के तीन बार के विधायक और राज्य सरकार में आयुर्वेद मंत्री राजीव सैजल को हराया है। इस सीट पर भाजपा का वर्चस्व तोडऩे में कांग्रेस को ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। विनोद सुल्तानपुरी ने 2012 और 2017 के दोनों मुकाबले बेहद करीब अंतर से गंवाए थे। 2012 में फैसला महज 24 वोटों के अंतर से हुआ था। जबकि 2017 में विनोद सुल्तानपुरी 442 वोट के अंतर से चुनाव हारे थे। जबकि 2022 में उन्होंने पूर्व मंत्री राजीव सैजल को 6768 वोटों के बड़े से अंतर से हराया है। दरअसल, कसौली विधानसभा क्षेत्र दो भागों में बंटा हुआ है। इसमें परवाणू का दखल हर बार किसी भी बड़े नेता की जीत को हार में बदलता रहा है। विनोद सुल्तानपुरी लोकसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी जगह लेने वालों की कांग्रेस के पास लंबी सूची नहीं है। विनोद सुल्तानपुरी के भाई कमल सुल्तानपुरी और पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट का आवेदन करने वाले परवाणू से ध्यान सिंह दो नाम हैं। जिन्हें पार्टी आगे कर सकती है। फिलहाल, कांग्रेस ने दो विधायकों को टिकट देकर बड़ा दाव चला है और इस दाव के बाद पार्टी अब संभावित उपचुनाव की तैयारियों में भी जुट गई है।