विश्व शतरंज में नई भारतीय चुनौती

शतरंज के खेल में दोम्माराजू गुकेश की इस सफलता से युवा शतरंज खेल की तरफ आकर्षित होंगे। शतरंज खेल को गंभीरता से लेने वाले कई देशों में, यह बात भी उभर कर सामने आई है कि बौद्धिक क्षमता उत्सर्जन वाले इस खेल से जुडऩे वाले युवा पढ़ाई के क्षेत्र में भी अव्वल पाए गए…

भारतीय शतरंज के उभरते युवा सितारे दोम्माराजू गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ। मार्च 2019 में दोम्माराजू गुकेश विश्व शतरंज के इतिहास में ग्रैंड मास्टर बनने वाले तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी रहे। फीडे विश्व रैंकिंग में भारत के सर्वोच्च शतरंज खिलाड़ी भी बन चुके हैं। विश्व कप के दौरान दोम्माराजू गुकेश ने मिस्टराडिन इस्कंदरोव को हराकर 2755.9 की लाईव रेटिंग प्राप्त की। फिर 2758 सितंबर 2023 में इनकी शीर्ष रेटिंग रही। अब 2763 के करीब आने वाली है और विश्व क्लासिकल ओपन वर्ग में नौवें स्थान पर पहुंचे, जबकि विश्वनाथन आनंद 2754 की रेटिंग के साथ दसवें स्थान पर थे। गुकेश ने 17.17 वर्ष की सबसे कम उम्र में 2750 की ईलो रेटिंग पार करने का मैग्नस कार्लसन का 17.34 वर्ष का रिकॉर्ड तोडक़र, पहली बार भारतीयों के नाम किया। फीडे सर्किट सर्कल में शीर्ष स्थान पर रहने वाले दोम्माराजू गुकेश ने इसी बूते वर्ष 2024 में टोरोंटो में होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली।

तेजी से उभरते इस भारतीय युवा शतरंज खिलाड़ी से हर भारतीय शतरंज प्रेमी को, भारतीय शतरंज के उज्ज्वल भविष्य के प्रति बहुत उम्मीदें हैं। गुकेश ने वर्ष 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैंपियनशिप और अंडर-12 आयु वर्ग में वर्ष 2018 में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप का अंडर-9 वर्ग जीता। अंडर-12 व्यक्तिगत रैपिड और ब्लीट्ज, अंडर-12 टीम रैपिड ओर ब्लीट्ज तथा अंडर-12 क्लासिकल शतरंज के प्रारूप में, वर्ष 2018 एशियाई यूथ शतरंज चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। एशियाई व चेस ओलिंपियाड खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में ग्रैंड मास्टर बनने वाले भारत के पहले व विश्व के तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी हैं। फीडे स्वर्ण जयंती वर्ष 2024 में प्रायोजित फीडे कैंडिडेट प्रतियोगिता 3 अप्रैल से 23 अप्रैल तक टोरोंटो में आयोजित हुई। 14 दौर की बाजियां डबल राउंड रोबिन के आधार पर खेली गईं। पूरे विश्व की नजरें कैंडिडेट्स के विजेता पर लगातार बनी रही। पहली बार कैंडिडेट्स ओपन वर्ग के इतिहास में तीन भारतीय युवा शतरंज सितारों ने दस्तक दी और महिला वर्ग में दो भारतीय महिला प्रतिभागियों ने शिरकत की। बेशक कैंडिडेट प्रतियोगिता के शुरुआती चरण में भारतीय युवाओं को नवोदित खिलाडिय़ों के रूप में देखा जा रहा था, मगर जैसे जैसे यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता आगे बढ़ती गई, सभी भारतीय खिलाड़ी अपनी छाप विश्व शतरंज पटल पर छोड़ते गए। अभी तक मात्र विश्वनाथन आनंद ही कैंडिडेट्स तक पहुंच कर, कई बार विभिन्न शतरंज खेल प्रारूपों में विश्व चैंपियन बने। मगर फीडे के आधिकारिक सौवें साल में एक नया भारतीय सितारा विश्व शतरंज प्रेमियों को देखने को मिला। भारत के लिए ये लम्हे गर्वित करने वाले हैं कि 17 वर्षीय दोम्माराजू गुकेश विश्व शतरंज कैंडिडेट के इतिहास में सबसे युवा विजेता खिलाड़ी बने।

डी. गुकेश दूसरे भारतीय व विश्व के प्रथम युवा खिलाड़ी बने कैंडिडेट्स प्रतियोगिता को जीतकर। विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर भी बने। डी. गुकेश ने 40 वर्ष पुराने इतिहास को बदल कर एक नया इतिहास रच दिया। प्रतियोगिता के दौरान डी. गुकेश ने अपनी 14 दौर की बाजियों में पहली बाजी भारतीय खिलाड़ी विदित गुजराती से ड्रॉ खेली। दूसरी बाजी भारत के एक और युवा सनसनी रमेश बाबू प्रज्ञानंदा से जीती। तीसरे दौर की बाजी में पूर्व दो बार के कैंडिडेट्स विजेता इयान नेपोमिनियाची को बराबरी पर रोका। चौथी बाजी अमरीका के फाबियानो कारूआना के साथ बराबरी पर रोकी। पांचवें दौर में गुकेश ने निजत अबासोव को हराकर विजय प्राप्त की। छठे दौर में अमरीका के हिकारू नाकामुरा को बराबरी पर रोकते हुए ड्रॉ खेला। मात्र एक हार गुकेश को प्रतियोगिता के सातवें दौर की बाजी में अलीरेजा फिरोजा से मिली। इसके बाद इस युवा खिलाड़ी ने आठवें दौर की बाजी में विदित गुजराती को हरा दिया। नवें दौर की बाजी भारतीय सनसनी रमेश बाबू प्रज्ञानंदा से ड्रॉ की। दसवें दौर की बाजी भी इयान नेपोमिनियाची से ड्रॉ खेली। ग्यारहवें दौर की बाजी फाबियानो कारूआना से ड्रॉ की। बारहवें दौर में पुन: निजत अबासोव को हराकर विजय प्राप्त की और 13वें दौर की बाजी में अपनी हार का बदला लेते हुए अलीरेजा फिरोजा को हराकर शीर्ष बढ़त कायम कर ली। अंतिम व चौदहवें दौर में हिकारू नाकामुरा को बराबरी पर रोकते हुए नौ अंक अर्जित करके प्रतियोगिता के निर्विवाद विजेता बने।

हालांकि सभी भारतीयों ने ओपन वर्ग में शानदार प्रदर्शन किया और कई बड़े उलटफेर करते हुए विश्व शतरंज जगत को चकित किया। भारत से जन्मे इस खेल में पुन: भारत शीर्ष की ओर अग्रसर हो रहा है। वहीं महिला वर्ग में पहली बार दो भारतीय महिला खिलाड़ी कोनेरू हम्पी व आर. वैशाली ने शिरकत करते हुए, अपने शानदार खेल से विश्व जगत को चकित किया और संयुक्त रूप से प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहीं। एक बात इस कैंडिडेट्स प्रतियोगिता से स्पष्ट सामने आई है कि यदि प्रारंभिक स्तर पर युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाए तो परिणाम हमेशा सार्थक ही आएंगे।

अत: इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद भारतीय शतरंज महासंघ व सभी राज्य संघों को बुनियादी स्तर पर अधिक सक्रियता से कार्य करने की आवश्यकता है। युवाओं में सीखने की क्षमता वयस्कों से कहीं अधिक भी हो सकती है। शतरंज के खेल में दोम्माराजू गुकेश की इस सफलता से निश्चित रूप से युवा शतरंज खेल की तरफ अधिक आकर्षित होंगे। शतरंज खेल को गंभीरता से लेने वाले कई देशों में, यह बात भी उभर कर सामने आई है कि बौद्धिक क्षमता उत्सर्जन वाले इस खेल से जुडऩे वाले युवा अक्सर पढ़ाई के क्षेत्र में भी अव्वल पाए गए। यदि सभी भारतीय राज्य शतरंज संघ व अखिल भारतीय शतरंज महासंघ ईमानदारी से विषय की गंभीरता को समझें और देश तथा प्रदेश की सभी प्रादेशिक सरकारें भी यह बात समझें, तो भारत हमेशा से ही शतरंज का जन्मदाता और शीर्ष नेतृत्वकर्ता देश बनकर, विश्व पटल पर बना रहेगा और शतरंज में सकारात्मक माहौल बनेगा।

हंसराज ठाकुर

स्वतंत्र लेखक