कांगड़ा की जनता जाति नहीं, योग्यता देख देती है वोट

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा, कांग्रेस की तलाश जारी

राकेश कथूरिया-कांगड़ा

लोकसभा चुनावों के दंगल में कांगड़ा के लोग जातीय आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर वोट डालते हैं। भाजपा ने कांगड़ा से अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिया है लेकिन कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार को लेकर तलाश जारी है। भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार राजीव भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछली मर्तबा गद्दी समुदाय के किशन कपूर भाजपा प्रत्याशी थे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले पवन काजल को चुनावी जंग में भारी मतों से पराजित किया था। जहां तक इस चुनाव क्षेत्र में जातीय समीकरण का सवाल है तो राजपूत समुदाय भी काफी दमखम रखता है। यहां एक चौथाई से अधिक मतदाता इस वर्ग से संबंधित है।

इसके अलावा ओबीसी मतदाताओं की तादाद भी यहां अच्छी खासी है, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र का इतिहास बताता है कि यहां जातीय समीकरण के आधार पर न तो कभी चुनाव लड़े गए हैं और न ही मतदाताओं ने प्रत्याशी की जाति पाती के आधार पर कभी वोट डाले हैं। यही वजह रही है कि इस क्षेत्र के मतदाताओं ने यहां सबसे कम आबादी वाले खत्री समुदाय के नेताओं को पांच मर्तबा संसद में पैरवी करने के लिए भेजा है। मतदाता संख्या के हिसाब से दूसरे नंबर पर आने वाले ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का मौका चौधरी चंद्र कुमार को सन् 2004 में मिला था। एचडीएम

पांच-पांच बार ब्राह्मण और खत्री समुदाय को मिली जीत

कांगड़ा सीट पर खत्री समुदाय की आबादी सबसे कम लगभग आठ फीसदी है, लेकिन इस समुदाय से संबंधित नेता ने पांच बार लोकसभा चुनाव जीता है। 1977 से पहले इस समुदाय की तूती बोलती थी, कांग्रेस ने खत्री समुदाय को टिकट के लिए पहली पसंद माना। 1977 में पहली बार कांग्रेस के खिलाफ बही हवा के बाद कंवर दुर्गा चंद के रूप में राजपूत समुदाय से संबंधित पहला व्यक्ति लोकसभा में पहुंचा, लेकिन अगले चुनाव में फिर खत्री समुदाय के विक्रम महाजन ने यह सीट जीत ली । उन्होंने अच्छी खासी आबादी वाले ओबीसी समुदाय के श्रवण कुमार को चुनाव मैदान में हराया। 1984 में राजपूत उम्मीदवार चंद्रेश कुमारी ने चौधरी श्रवण कुमार के मुकाबले में चुनाव जीता।

1990 के उपचुनाव में एक बार फिर से राजपूत उम्मीदवार डीडी खनूरिया चुनावी बाजी अपने नाम करने में सफल रहे। मगर 1996 में खत्री समुदाय ने फिर झंडा बुलंद कर दिया। सत महाजन ने शांता कुमार को चुनाव में परास्त कर दिया। 1998 और 1999 में दोनों चुनाव शांता कुमार ने जीते। 2004 में ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र कुमार जीते और 2009 में राजन सुशांत भाजपा के और 2014 में शांता कुमार ने यह चुनाव जीता। इस तरह सर्वाधिक पांच बार ब्राह्मण और पांचवीं बार खत्री समुदाय ने इस महत्त्वपूर्ण सीट पर अपनी जीत दर्ज करवाई।

चार बार राजपूत उम्मीदवार का रहा दबदबा

चार बार राजपूत उम्मीदवार ने विजय प्राप्त की। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में हिमाचल में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने वाले कांगड़ा संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर ने देश में मत प्रतिशत हासिल करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। मोदी लहर में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे कपूर ने कुल 72.02 प्रतिशत वोट हासिल किए। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पड़े कुल दस लाख छह हजार 989 मतों में से कपूर की झोली में सात लाख 25 हजार 218 मत
आए थे।