समुद्रतल से 16850 फुट ऊंचा शिंकुला दर्रा बहाल

बर्फबारी के बाद चार फरवरी से बंद था नीमू-पदुम शिंकुला-दारचा सडक़ मार्ग

लद्दाख का जांस्कर सडक़ मार्ग हिमाचल से जुड़ा, जून महीने से शुरू होगा शिंकुला टनल का निर्माण

जिला संवाददाता — केलांग
समुद्रतल से 16850 फुट ऊंचे शिंकुला दर्रा बहाल होते ही लद्दाख का जांस्कर इलाका हिमाचल से जुड़ गया है। सीमा सडक़ संगठन की योजक परियोजना ने गुरुवार को दारचा-शिंकुला-पदम् सडक़ मार्ग को आधिकारिक तौर पर ट्रैफिक के लिए खोल दिया है। सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नीमू-पदुम-शिंकुला-दारचा सडक़ मार्ग, जो भारी बर्फबारी के बाद चार फरवरी से बंद था, वाहनों की आवाजाही के लिए खुल गया है बीआरओ के योजक परियोजना के मुख्य अभियंता आरके साहा ने गुरुवार को शिंकुला दर्रे पर 126 आरसीसी और योजक परियोजना की ओर से आयोजित रॉड ओपनिंग सेरेमनी में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद हरी झंडी दिखाकर जांस्कर की ओर से आए वाहनों को शिंकुला दर्रे से रवाना किया। नीमू-पदम-दारचा सडक़ सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। शिंकुला दर्रा होकर लेह तक जाने के लिए चार से पांच घंटे समय की बचत होगी। लेह की दूरी 40 किलोमीटर दूरी कम होगी।

वहीं पर्यटन की दृष्टि से यह सडक़ लाहुल, जांस्कर, करगिल और लेह के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी। मनाली से बारालाचा दर्रा होकर सरचू-लेह सडक़ खोलने का कार्य बीआरओ के 70 आरसीसी अंजाम दे रहा है, जिसके खुलने में अभी और समय लग सकता है। गुरुवार को शिंकुला दर्रा बहाल होने से लोगों को लेह जाने के लिए वाया शिंकुला पदम लेह पहुंचने का विकल्प मिल गया है। योजक परियोजना के मुख्य अभियंता ने बताया कि चार फरवरी से बंद इस सडक़ को एक माह की कड़ी मशक्कत के बाद 16580 फुट ऊंचे शिंकुला दर्रे से बीआरओ के कर्मयोगियों ने 20 से 25 फुट बर्फ काटकर बहाल किया है। उन्होंने कहा कि यह रूट मनाली से लेह पहुंचने के लिए सबसे कम दूरी की सडक़ है। शिंकुला दर्रे के नीचे टनल प्रस्तावित है, जिसका काम इसी साल जून माह में आरंभ हो जाएगा। शिंकुला टनल बनने के बाद यह सामरिक सडक़ 12 महीने खुली रहेगी। लद्दाख का जांस्कर और हिमाचल का लाहुल घाटी सडक़ मार्ग आपस में जुड़ गए हैं।