मंडी में राजपरिवार की रही है धाक

पहले वीरभद्र सिंह, फिर प्रतिभा, अब विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस की पारंपरिक सीट से कैंडीडेट, संसदीय क्षेत्र में खूब चलता रहा है राजा फैक्टर

शालिनी भारद्वाज-कुल्लू
हिमाचल में हुए लोकसभा चुनाव हो या उपचुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर कांग्रेस को जीत दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हंै। विधानसभा चुनाव में भी जमकर वीरभद्र सिंह के नाम का इस्तेमाल किया गया। यही नहीं बीते लोकसभा उपचुनाव में भी सांसद प्रतिभा सिंह को उनके नाम पर वोट पड़े। वहीं, अब राज परिवार का एक और पुत्र मंडी हॉट सीट से लोकसभा चुनाव के लिए चुनावी रण में उतरने को तैयार है।

वहीं, इस मंडी सीट पर लोकसभा चुनाव में राजपरिवार से संबंध रखने वाले सदस्यों का अधिक बोलबाला रहा है। जहां भाजपा ने कई नए चेहरों पर दाव खेला, जिसमें कुछ जीते और कुछ हारे। कांग्रेस भी जानती है कि आज भी वीरभद्र सिंह के नाम पर लोग वोट करने से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि वीरभद्र सिंह के गुजर जाने के कुछ समय बाद कांग्रेस के पोस्टर से वीरभद्र सिंह की तस्वीर गायब हुई थी। तब उस दौरान उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उनकी तस्वीर लोगों के दिलों में हमेशा रहेगी। एचडीएम

आसान नहीं है भाजपा की राह

राजनीति में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। पक्ष-विपक्ष दोनों ही वीरभद्र सिंह के सियासी कद से भलीभांति परिचित हैं। कांग्रेस हाईकमान ने भी एक बार फिर वीरभद्र सिंह के ही परिवार के सदस्य उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह के हाथों लोकसभा मंडी हॉट सीट पर विश्वास जताते हुए उन्हें भाजपा प्रत्याशी वालीवुड अभीनेत्री के सामने उतारा है।

मंडी सीट पर सबकी नजरें

मंडी सीट पर विक्रमादित्य सिंह की मां सांसद प्रतिभा सिंह ने उपचुनाव में जीत हासिल की। वहीं, अब कांग्रेस हाईकमान ने भाजपा प्रत्याशी के सामने युवा नेता प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर दांव खेला है। भाजपा ने जिस तरह से पहली बार वालीवुड की अभिनेत्री हिमाचल के मंडी से संबंध रखने वाली कंगना रणौत को चुनावी रण में उतारा है, उसके बाद से देशभर की नजर अब मंडी सीट पर आकर टिक गई है।

छह बार का रिकॉर्ड

जब भी हिमाचल में सियासत की बात होगी, वीरभद्र सिंह का जिक्र न हो… ऐसे मुमकिन नहीं हैं। हिमाचल में सबसे अधिक छह बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड वीरभद्र सिंह के नाम दर्ज है। 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने।