37 हजार वोट की जीत और 15 सीटों का फायदा

विधानसभा चुनाव-2022 के नतीजों को ध्यान में रखकर रणनीति बनाएंगे सियासी दल

राकेश शर्मा — शिमला

हिमाचल में बीते विधानसभा चुनाव में बेहद करीबी मुकाबले में कांग्रेस सत्ता की दहलीज तक पहुंची थी। चुनाव के बाद खंगाले गए अंक गणित में हार और जीत का फासला एक फीसदी से भी कम वोट का था। 40 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने वाली कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा से 37 हजार 974 वोट ही आगे थी। हालांकि यह फासला परिणाम के बाद 15 सीटों का था। कांग्रेस को 40, तो भाजपा के हिस्से महज 25 सीटें आई थीं। विधानसभा चुनाव के समय 42 लाख 19 हजार 635 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इनमें से कांग्रेस को 18 लाख 52 हजार 504, जो कुल मतदान का करीब 43.90 फीसदी, तो भाजपा को 18 लाख 14 हजार 530 वोट हासिल हुए थे।

यह कुल मतदान का 43 फीसदी था। विधानसभा के इस चुनाव में भाजपा को हार की कगार तक ले जाने में एक बड़ा रोल नई पार्टियों का भी था। हिमाचल विधानसभा में पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने करीब 46 हजार वोट हासिल किए थे और यह कुल वोट शेयर का 1.10 फीसदी था, जबकि राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी को 25 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जो उस समय 0.66 फीसदी दर्ज किया गया। भाजपा को मिली हार 37 हजार 974 वोटों की थी। (एचडीएम)

चार जिलों में शून्य था भारतीय जनता पार्टी का स्कोर

विधानसभा चुनाव में चार जिलों में भाजपा का खाता नहीं खुल पाया था। इनमें से दो जिले पांच-पांच सीटों वाले थे। भाजपा को अपने सबसे बड़े गढ़ हमीरपुर में हार मिली थी। यहां पांच विधानसभा सीटें हैं, लेकिन पार्टी एक भी नहीं जीत पाई। चार सीटें कांग्रेस के हिस्से आई, तो एक सीट पर निर्दलीय जीत हुई थी। सोलन दूसरा ऐसा जिला है, जहां भाजपा खाली हाथ रही। यहां पांच सीटों में चार पर कांग्रेस, जबकि एक पर निर्दलीय ने चुनाव में जीत दर्ज की। इसके अलावा जनजातीय जिले लाहुल-स्पीति और किन्नौर में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि यहां एक-एक ही सीट है, जबकि दो जिले शिमला और ऊना ऐसे भी थे, जिनमें भाजपा खाता भर ही खोल पाई। इन दोनों जिलों में एक-एक सीट पर पार्टी को जीत मिली थी।

कांग्रेस को मंडी में मिली थी बड़ी हार

विधानसभा चुनाव में मंडी जिला में कांग्रेस को बड़ा झटका झेलना पड़ा था। यहां भाजपा ने 10 में से नौ सीटों पर जीत दर्ज की है। धर्मपुर में पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के संन्यास लेने के बाद यहां टिकट उनके बेटे को दी गई थी, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत पाए। मुख्यमंत्री के चेहरे जयराम ठाकुर ने वोटों का बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम किया था। उन्होंने सराज विधानसभा क्षेत्र से 38 हजार 183 वोटों से यह जीत दर्ज की। मंडी सीटों के हिसाब से कांगड़ा के बाद दूसरा बड़ा जिला है और भाजपा के लिए मरहम इसी जिला में लग पाया, जबकि अन्य में पार्टी में बुरी हार झेलनी पड़ी थी।