प्राइवेट कंपनियों ने नहीं दी नौकरी, तो सीधे क्रैक कर दिखाया यूपीएससी

बोलने-सुनने में असमर्थ रंजीत ने पहले प्रयास में हासिल की सफलता

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—नई दिल्ली

यूपीएससी का रिजल्ट आने के साथ ही कामयाबी के किस्सों का एक नया दौर शुरू हो गया है। किस्से उस मेहनत के…जो मुश्किल हालात में भी जंग जीत गई। इन किस्सों में एक कहानी बिल्कुल अलग है। यह कहानी है डी रंजीत की, जो जन्म से बोल और सुन नहीं सकते। बीटेक करने के बाद, जिन्हें इसी वजह से कंपनियों ने नौकरी देने से इनकार कर दिया। कदम-कदम पर उन्हें हर बार एक नई चुनौती से जूझना पड़ा। इसके बावजूद रंजीत ने हार नहीं मानी और यूपीएससी की परीक्षा पास कर कामयाबी की एक नई कहानी गढ़ दी। तमिलनाडु के कोयंबटूर में रहने वालीं अमृतवल्ली को जब पता चला कि उनका बेटा रंजीत न बोल सकता है और न सुन सकता है, तो उनका मन टूट गया था।

उन्होंने अपने बेटे के लिए स्पेशल एजुकेशन में बीएड किया और उसे लिप रीडिंग करना सिखाया। रंजीत बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। वह सुन तो नहीं सकते थे, लेकिन लिप रीडिंग के जरिए सामने वाले की बात को समझ सकते थे। वक्त धीरे-धीरे आगे बढऩे लगा। 12वीं का रिजल्ट आया तो रंजीत ने दिखा दिया कि वह किसी से कम नहीं हैं। इस परीक्षा में उन्होंने दिव्यांग छात्रों की कैटेगरी में टॉप किया था। इंजीनियर बनने की चाह में रंजीत ने बीटेक में एडमिशन ले लिया। अभी तक न तो रंजीत और ना ही उनकी मां अमृतवल्ली ने यूपीएससी के बारे में सोचा था।

बीटेक की डिग्री मिली तो रंजीत नौकरी की तलाश करने लगे, लेकिन चूंकि वह बोल और सुन नहीं सकते थे, इसलिए नौकरी नहीं मिली। कई कंपनियों से न सुनने के बाद रंजीत ने एक बड़ा फैसला लिया और यूपीएससी की परीक्षा देने की तैयारी करने लगे। मां ने इस फैसले में अपने बेटे का पूरा साथ दिया। रंजीत पूरी मेहनत के साथ तैयारी में जुट गए और 2020 में यूपीएससी की परीक्षा दी। अगले साल 2021 में रिजल्ट आया तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पहले ही प्रयास में सफल हुए रंजीत को 750वीं रैंक मिली थी। तमिल भाषा में परीक्षा देने वाले दिव्यांग छात्रों में वह टॉपर बने थे। वहीं, रंजीत की मां भी खुश थीं। अपने बेटे की कामयाबी पर उन्होंने कहा कि हमेशा बस उसके भविष्य की फिक्र रहती थी, लेकिन अब सारी फिक्र और परेशानियां खत्म हो गई हैं। रंजीत की कामयाबी पर खुशी है और गर्व भी।