जब रोहडू छोड़ शिमला ग्रामीण के हुए वीरभद्र सिंह

साल 2007 में पुनर्सीमांकन ने दिखाया असर, राजीव बिंदल सोलन से पहुंचे नाहन

राकेश शर्मा-शिमला

हिमाचल की राजनीति में 2007 कई नेताओं के चढ़ते कैरियर पर ग्रहण लगा गया। पुनर्सीमांकन के बाद 2012 में हुए चुनाव में बहुत से बड़े चेहरे तूफान से सकुशल बाहर आ गए तो कईयों की कश्ती मझधार में ही डूब गई। राजनीति के इस बदलाव से हाशिये पर पहुंचे नेता वर्तमान परिदृश्य से गायब हो चुके हैं , तो कई नेताओं के लिए यह बदलाव वरदान भी रहा है। इन नेताओं ने सीटें आरक्षित होने के बाद दूसरी जगह चुनाव लडक़र अपनी धाक जमा ली है। आज इतिहास के पन्नों से उस अध्याय को खंगालेंगे जिसका जिक्र भर आज भी नेताओं में सिरहन पैदा कर देता है। 2007 में हुए इस पुनर्सीमांकन में 16 विधानसभा क्षेत्रों का अस्तित्व खत्म हो गया था और 2012 में प्रदेश की 68 सीटों के लिए अलग नामों और चेहरों के साथ चुनाव लड़ा गया। 2012 में कई बड़े चेहरों को पलायन के लिए भी मजबूर होना पड़ा। इनमें सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह का ही था। उन्होंने परंपरागत सीट रोहड़ू के आरक्षित होने के बाद नई सीट शिमला ग्रामीण को चुना और 2012 में यहीं से चुनाव लड़ा। अब यहां से उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह विधायक और मौजूदा सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री भी हैं।

इनके अलावा सोलन से भाजपा के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल भी विधानसभा क्षेत्र आरक्षित होने के बाद नाहन पलायन कर गए। इस सूची में तीसरा नाम धर्मशाला से सुधीर शर्मा का भी था। बैजनाथ के आरक्षित होने के बाद उस समय पूर्व मुख्यमंंत्री वीरभद्र सिंह ने उन्हें धर्मशाला से टिकट दी और सुधीर यहां चुनाव जीतने में कामयाब भी रहे। फिलहाल, अब 12 सालों के बाद समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं और सुधीर शर्मा भाजपा के खेमे में पहुंच गए हैं। इसी दौरान कांगड़ा में थुरल विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व भी खत्म हो गया था। यहां से पूर्व जलशक्ति मंत्री रविंद्र रवि को भाजपा ने नए विधानसभा क्षेत्र देहरा में चुनाव लडऩे का अवसर दिया और वे भी चुनाव जीत गए।

हालांकि बाद के चुनाव में उभरे समीकरणों ने उनके राजनीतिक भविष्य पर पूर्ण विराम लगा दिया। गुलेर में आखिरी चुनाव 2007 में ही हुआ था। इसके बाद विधानसभा का अस्तित्व खत्म हो गया। यहां से विधायक नीरज भारती ने 2012 में जवाली से चुनाव लड़ा और वे जीत गए। इसी अवधि में कांगड़ा में ही एक नई सीट आरक्षित जयसिंहपुर का भी जन्म हुआ। इस सीट से फिलहाल, यादविंद्र गोमा विधायक और मौजूदा सरकार में मंत्री हैं। जसवां और परागपुर विधानसभा को इसी चुनाव में एक कर दिया गया। नई विधानसभा जसवां परागपुर के नाम से स्थापित हो गई। एचडीएम