घर में घुसकर मारने के बयान पर चुप्पी क्यों

दरअसल अमरीका भी खाड़ी देशों की तरह भारत से रिश्ते और प्रगाढ़ करने की दिशा में बढ़ रहा है। मुद्दा चाहे सैन्य साजो-सामान की सप्लाई का हो या फिर चीन के खिलाफ दमदार सहयोगी का हो, अमरीका को अंदाजा है कि चीन का मुकाबला भारत ही कर सकता है…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर में घुस कर मारने के बयान के बाद भी पूरी दुनिया चुप रही। पाकिस्तान के सिवाय विश्व के किसी भी देश ने इस पर कोई सख्त टिप्पणी करना तो दूर, सामान्य प्रतिक्रिया तक नहीं जताई। विश्व के देशों की समझ में आ गया है कि आतंकवाद के लिए बदनाम पाकिस्तान जैसे देश के लिए भारत से रिश्ते बिगाडऩा समझदारी नहीं है। बदले हुए वैश्विक परिदृश्य में हर देश सिर्फ नेशन फस्र्ट की नीति पर चल रहा है। इसलिए कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया तब तक नहीं देता है, जब तक कि उसके हितों पर आंच नहीं आए। ब्रिटिश अखबार गार्डियन की रिपोर्ट के बाद ठीक ऐसा ही हुआ है। गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में हुई करीब 20 हत्याएं संयुक्त अरब अमीरात से संचालित भारतीय खुफिया एजेंसियों के स्लीपर सेल के जरिए अंजाम दिए गए। हत्याओं को अंजाम देने के लिए स्थानीय अपराधियों या गरीब पाकिस्तानियों को लाखों रुपए देने का आरोप है। भारतीय एजेंटों ने हत्याओं को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर जिहादियों को भी भर्ती किया, उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि वे काफिरों को मार रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2019 के पुलवामा हमले के बाद से भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा करीब 20 इस तरह की हत्याएं की गईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पाकिस्तान द्वारा दिए गए सबूतों और सीमा के दोनों ओर के खुफिया अधिकारियों के इंटरव्यू पर आधारित है। इस खबर के बाद भी पाकिस्तान को छोड़ कर दुनिया के सभी देश खामोश रहे। भारत ने भी मौजूदा दौर में बदली हुई विदेश नीति के तहत इस बात को दबाने या छिपाने के बजाय विश्व के समक्ष साफ जाहिर कर दिया कि आतंकी कार्रवाईयों पर भारत चुप नहीं बैठेगा, बल्कि ऐसी कार्रवाईयों का मुंहतोड़ जवाब देगा। हालांकि भारत ने गार्डियन की इस रिपोर्ट का न तो खंडन किया और न ही समर्थन किया। भारत ने विश्व के सामने अपनी नीति को स्पष्ट कर दिया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने पूर्व में दिए गए बयान से भी एक कदम आगे निकल गए। सिंह ने पाकिस्तान को उसकी धरती पर आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए सहायता की पेशकश कर डाली। उन्होंने कहा, अगर पाकिस्तान खुद को अक्षम महसूस करता है तो भारत आतंकवाद को रोकने के लिए सहयोग करने को तैयार है। हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी कि अगर उसका मकसद आतंकवाद का इस्तेमाल कर भारत को अस्थिर करना है तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। यह सख्त टिप्पणी उनके द्वारा पाकिस्तान को चेतावनी देने के एक हफ्ते बाद आई है कि भारत सीमा पार करके भागने की कोशिश करने वाले किसी भी आतंकवादी का पीछा करेगा। उन्होंने कहा था कि अगर वे पाकिस्तान भागेंगे तो हम उन्हें मारने के लिए पाकिस्तान में घुसेंगे। जमुई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान का बिना नाम लिए कहते हैं कि छोटे-छोटे देश जो आज आटे के लिए तरस रहे हैं, उनके आतंकी हम पर हमला करके चले जाते थे और तब की कांग्रेस दूसरे देशों के पास शिकायत लेकर जाती थी। आज का भारत घर में घुस कर मारता है। पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के इस बयान को भडक़ाऊ बताते हुए इसकी निंदा की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान का इतिहास खुद की रक्षा करने के लिए गवाही देता है। पाकिस्तान ने कहा कि हमने हमेशा क्षेत्र में शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है और यह भी कहा कि इतिहास पाकिस्तान के दृढ़ संकल्प और खुद की रक्षा करने की क्षमता की गवाही देता है। यह पहला मौका है जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक कदम आगे बढ़ते हुए परिवर्तित नीति का खुलासा किया है। इससे पहले ऐसे मामलों से भारत कन्नी काटता रहा है। आतंकियों के लगातार मारे जाने पर पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले एक भारतीय पासपोर्ट धारक को गिरफ्तार किया गया है। भारत ने तब इसे बेबुनियाद बताया था। इसी तरह कनाडा में आतंकी निज्जर की हत्या और अमरीका में आतंकी पन्नू की हत्या के प्रयासों के आरोपों पर भारत ने रक्षात्मक रुख अख्तियार करते हुए ऐसी कार्रवाईयों का खंडन किया था। किन्तु गार्डियन की खबर के बाद भारत ने अपना स्टैंड बदल लिया है।

इस बदली हुई नीति का संदेश विश्व को दिया गया है। गौरतलब है कि कनाडा, अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और अन्य देशों में खालिस्तानी आतंकियों ने भारत के खिलाफ धरने-प्रदर्शन और हिंसात्मक कार्रवाईयां की हैं। भारत इन पर अपना विरोध जताता रहा है। रक्षामंत्री का बयान इन देशों और इनमें पल रहे आतंकियों के लिए भी चेतावनी है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि हर मामले की एक हद होती है। अब भारत किसी को बख्शेगा नहीं। विश्व के देश भारत के बदले हुए तेवर से स्तब्ध हैं। किसी भी देश ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। इसकी प्रमुख वजह है कि भारत सभी देशों से कमोबेश द्विपक्षीय संबंध लगातार मजबूत कर रहा है। इसमें रणनीति और व्यापारिक संबंध शामिल हैं। सभी देशों को लगता है कि एक अरब 40 करोड़ की आबादी वाला भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। दो देशों के आपसी संबंधों के मामले में बीच में पडऩा अब कोई भी देश नहीं चाहता। सभी देशों को सिर्फ अपने हितों की फिक्र है। यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब की यात्रा के दौरान जब प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के समक्ष भारत के कश्मीर का मुद्दा उठाया, तब उन्होंने इसे द्विपक्षीय तरीके से हल किए जाने का सुझाव देते हुए टाल दिया। पाकिस्तान कई देशों से भारत पर दबाव डलवाने का प्रयास कर चुका है, किन्तु किसी भी देश ने इसमें बीच में आने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि भारत और सऊदी अरब के रिश्ते अब नए दौर में पहुंच गए हैं। सऊदी अरब को अंदाजा है कि कच्चे तेल पर टिकी अर्थव्यवस्था के भरोसे नहीं रहा जा सकता। तेल के स्त्रोत समाप्त होने से पहले ही सऊदी अरब सुविधासम्पन्न ऐसा देश बनना चाहता है ताकि विश्व के पर्यटन स्थल पर चमक सके। यही वजह है कि कुछ अर्से पहले तक कट्टर इस्लामिक मुल्क रहे सऊदी अरब के प्रिंस ने व्यापक बदलाव की ठान ली है। पुराने दकियानूसी तौर-तरीकों को बदल कर सऊदी अरब आधुनिक सोच के बदलाव का सबब बन रहा है।

इसी के मद्देनजर भारत और सऊदी अरब ने हाल ही में कई व्यापारिक समझौते किए हैं। भारत ने खाड़ी के देशों में रिश्तों का नया अध्याय लिखा है। अमरीका की प्रमुख मैगजीन फॉरेन पॉलिसी ने अपने लेटेस्ट आर्टिकल में मिडिल ईस्ट में भारत के अहम शक्ति के रूप में उभरने के बारे में लिखा है। इसे पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में सबसे दिलचस्प भू-राजनीतिक घटनाक्रम में से एक के रूप में देखा जा रहा है। इस आर्टिकल में इजराइल, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित क्षेत्र के प्रमुख देशों के साथ भारत के गहरे और बढ़ते संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि ये देश बदलती अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भारत के उभार का लाभ उठाने के इच्छुक नजर आ रहे हैं। आर्टिकल के लेखक स्टीवन ए. कुक ने तर्क दिया कि इस बात की बेहद कम संभावना है कि अमरीका इस घटनाक्रम में हस्तक्षेप कर सकता है। दरअसल अमरीका भी खाड़ी देशों की तरह भारत से रिश्ते और प्रगाढ़ करने की दिशा में बढ़ रहा है। मुद्दा चाहे सैन्य साजो-सामान की सप्लाई का हो या फिर चीन के खिलाफ दमदार सहयोगी का हो, अमरीका को अंदाजा है कि चीन का विश्व में यदि कोई देश मुकाबला कर सकता है तो वह भारत है। इसी तरह यूरोपीय देश भी भारत में व्यापार की संभावनाएं तलाशते हैं। कोई भी देश पाकिस्तान का साथ देकर भारत से पंगा नहीं लेना चाहता।

योगेंद्र योगी

स्वतंत्र लेखक